India News (इंडिया न्यूज़), Karnataka Congress Government: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने बहुत ही बड़ा फैसला लिया है। दरअसल कर्नाटक में राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार (26 सितंबर, 2024) को राज्य में सीबीआई को बिना परमिशन जांच करने की अनुमति देने वाली अपनी पिछली अधिसूचना को वापस लेने का फैसला किया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब MUDA भूमि घोटाले मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग उठ रही है। बुधवार को कोर्ट ने भ्रष्टाचार विरोधी निकाय लोकायुक्त को जांच करने का निर्देश दिया था।
अब क्यों लिया गया ऐसा निर्णय?
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (Delhi Special Police Establishment Act) के तहत सरकार ने पहले केंद्रीय जांच एजेंसी को राज्य में आपराधिक जांच स्वतंत्र रूप से करने की अनुमति दी थी। कैबिनेट के इस फैसले को सीबीआई द्वारा सिद्धारमैया के खिलाफ संभावित हस्तक्षेप को रोकने के लिए उठाया गया कदम बताया जा रहा है। ऐसा बताया जा रहा है कि, सीबीआई भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच शुरू कर सकती थी। हम आपको जानकारी के लिए बात दें कि सीबीआई DPSEA के तहत काम करती है, यह दिल्ली पुलिस की एक विशेष इकाई है। कर्नाटक के मंत्री एच.के. पाटिल ने इस निर्णय को लेकर आरोप लगाया कि सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिसके कारण राज्य को अपनी सहमति वापस लेनी पड़ी।
सीबीआई का किया जा रहा है दुरुपयोग
इस मामले में मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि, ‘हमने सीबीआई जांच के लिए दी गई अनुमति वापस लेने का निर्णय लिया है। यदि न्यायालय किसी मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्णय लेता है, तो हमारी कोई प्रासंगिकता नहीं रह जाती। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है और उन्होंने कई मामलों में आरोप-पत्र दाखिल करने से इनकार कर दिया है।’ हालांकि मंत्री ने दावा किया है कि यह निर्णय MUDA मामले के कारण नहीं लिया गया है। मंत्री पाटिल ने कहा, ‘हमने सीबीआई को गलत रास्ते पर जाने से रोकने के लिए यह निर्णय लिया है।’
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भाजपा का बयान आया सामने
अब इस मामले में भाजपा का बयान सामने आया है। भाजपा विधायक बसनगौड़ा आर पाटिल ने कहा कि, सीबीआई को सामान्य सहमति वापस लेने का समय बेतुका है। यह MUDA मामले की जांच करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों पर लगाम लगाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है, जिसमें मुख्यमंत्री आरोपी नंबर 1 हैं। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को ये समझने की जरुरत है कि, लोकतंत्र कानून के शासन पर टिका है, व्यक्ति के शासन पर नहीं।
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