India News (इंडिया न्यूज), Parliament: संसद भवन से महात्मा गांधी, बीआर अंबेडकर और छत्रपति शिवाजी समेत अन्य की मूर्तियों को उनके मूल स्थान से हटाकर पुराने भवन के पास एक लॉन में ले जाया गया है। इस कदम की आज कांग्रेस ने तीखी आलोचना की। वहीं आदिवासी नेता बिरसा मुंडा और महाराणा प्रताप की मूर्तियों सहित सभी मूर्तियाँ अब उसी स्थान पर हैं। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की मूर्तियों को संसद भवन के सामने उनके प्रमुख स्थानों से हटा दिया गया है। यह नृशंस है। वहीं भाजपा पर हमला करते हुए कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि जब महाराष्ट्र के मतदाताओं ने भाजपा को वोट नहीं दिया, तो शिवाजी और अंबेडकर की मूर्तियों को संसद में उनके मूल स्थान से हटा दिया गया।
कांग्रेस ने किया विरोध
पवन खेड़ा ने कहा कि जब गुजरात में उन्हें क्लीन स्वीप नहीं मिला, तो उन्होंने संसद में महात्मा गांधी की प्रतिमा को उसके मूल स्थान से हटा दिया। उन्होंने आगे लिखा कि ज़रा सोचिए, अगर उन्हें 400 सीटें दी गई होतीं, तो क्या वे संविधान को बख्श देते? वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। जिसमें सरकार द्वारा संसद भवन परिसर से महात्मा गांधी, डॉ. अंबेडकर और छत्रपति शिवाजी की प्रतिष्ठित मूर्तियों को बिना किसी अनुमति के हटाने के कथित एकतरफा कदम के बारे में बताया गया है। उनके स्थानांतरण पर स्पष्टता बताने को कहा गया है।
नए रूप में दिखाई देगा संसद भवन
दरअसल, 18वीं लोकसभा के जून में अपने पहले सत्र के लिए बुलाए जाने पर संसद परिसर एक नए रूप में दिखाई, देगा क्योंकि चार अलग-अलग इमारतों वाले पूरे परिसर को एकीकृत करने का काम चल रहा है। वहीं बाहरी क्षेत्रों के पुनर्विकास के हिस्से के रूप में गांधी जी, शिवाजी और महात्मा ज्योतिबा फुले सहित राष्ट्रीय प्रतीकों की मूर्तियों को पुराने संसद भवन के गेट नंबर 5 के पास एक लॉन में ले जाया जाना था, जिसे संविधान सदन नाम दिया गया है। इससे गज द्वार के सामने एक विशाल लॉन के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। जिसका उपयोग राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री नए संसद भवन में प्रवेश करने के लिए करते हैं।