इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Story Of Taj Mahal: भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के शहर आगरा में स्थित ताजमहल में इस समय ‘ताज महोत्सव’ की धूम मची है। यह महोत्सव 20 मार्च से शुरू हुआ था और 29 मार्च तक चलेगा। इस महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए भारत समेत दुनियाभर से पर्यटकों की भीड़ जुटती है। तो चलिए जानते हैं इस खूबसूरत और प्यार की कहानी बयां करनी वाली ईमारत के बारे में।
ताज महोत्सव की शुरुआत 1992 में की गई थी। यह 30वां महोत्सव है। बता दें आगरा में हर वर्ष होने वाला ताज महोत्सव यहां के सबसे बड़े वार्षिक महोत्सव में से एक है। यह महोत्सव हर साल फरवरी माह में आयोजित किया जाता है लेकिन इस बार चुनावों के कारण मार्च में हो रहा है। यह महोत्सव 20 मार्च से शुरू हुआ था और 29 मार्च तक चलेगा।इस बार महोत्सव की थीम है आजादी का अमृत महोत्सव संग ताज महोत्सव के रंग। इस महोत्सव का उद्देश्य देश की कला-संस्कृति को आगे बढ़ाना है।
दुनियाभर में प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला ताजमहल करीब चार सौ साल पुराना है। ताजमहल भारतीय शहर आगरा में यमुना नदी के दक्षिण तट पर एक हाथीदांत-सफेद संगमरमर का मकबरा है। ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और लगभग 1653 में (यानि कि 22 साल में बनकर तैयार हुआ था ताजमहल) पूरा हुआ। कहते हैं कि ताजमहल शाहजहां की तीसरी बेगम अजुर्मंद बानू (जिसे मुमताज महल के नाम से भी जाना जाता है) की मजार है। मुमताज के गुजर जाने के बाद उनकी याद में शाहजहां ने ताजमहल बनवाया था। कहा जाता है कि मुमताज महल ने मरते समय मकबरा की ख्वाहिश जताई थी उसके बाद शाहजहां ने ताजमहल बनावाया।
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शाहजहां का शासनकाल 1628 से लेकर 1658 ईस्वी तक रहा। उनके बादशाह बनने के तीन साल बाद मुमताज चल बसीं। शाहजहां की 3 पत्नियों (कानूनी) में मुमताज दूसरी थी। मुमताज ने 19 साल तक शाहजहां का साथ निभाया, लेकिन 14वें बच्चे के जन्म के समय वो अल्लाह को प्यारी हो गईं।
इतिहासकार कासिम-अली-अफरीदी के अनुसार मुमताज ने अपनी मृत्युशैय्या पर शाहजहां से दो वादा करने को कहा। पहला, वह अपनी दूसरी पत्नियों के साथ और बच्चे नहीं करेगा। दूसरा, वह उसकी याद में एक ऐसा मकबरा बनाएगा जो दुनिया में कहीं न हो। हालांकि, शाहजहां के समय के ज्यादातर फारसी इतिहासकार इसे नहीं स्वीकारते हैं।
कहा जाता है कि शाहजहां अपनी पत्नी का उसकी जिंदगी और उसकी मौत के बाद भी दीवाना बना रहा। शाहजहां की मोहब्बत के बारे में यह भी कहा जाता है कि मुमताज के मरने के बाद से अपनी मौत तक वह पत्नी के प्रति वफादार बना रहा। यह पीरियड करीब 35 सालों का रहा। शाहजहां की मृत्यु साल 1666 में हुई, जबकि मुमताज साल 1631 में चल बसी।
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