Supreme Court: उत्तर प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट ने 392 अस्थायी लिपिकों को नियमित करने के सालों पुराने मामले में इंस्पेक्टर जनरल और मुख्य सचिव को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।
आपको बता दें कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ तथा जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने शुक्रवार, 18 नवंबर के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दाखिल स्पेशल अनुमति याचिका यानि की एसएलपी पर नोटिस जारी किया है। साथ ही हाईकोर्ट द्वारा दिए आदेश पर रोक लगा दी है। इसके अलावा चार हफ्ते के अंदर सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा गया है।
पीठ ने जताई सहमति
बता दें कि पीठ ने यह भी कहा कि HC को मुख्य सचिव की पेशी का आदेश पारित करने की कोई जरूरत नहीं थी। दरअसल, यूपी सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल यानि की एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया है। साथ ही कहा है कि इस मामले पर तत्कालीन सुनवाई हो। शुक्रवार दोपहर 12.45 इस मामले पर सुनवाई करते हुए पीठ ने अपनी सहमति जताई है।
3 अधिकारियों की समिति ने की थी मामले की जांच
एएसजी भाटी ने सुनवाई के दौरान बताया कि साल 2004 में दाखिल एक विशेष अपील पर साल 2017 में HC ने इस मामले में 3 अधिकारियों की एक समिति बनाकर जांच के आदेश दिए थे। जांच समिति इस दौरान यह पाया था कि नियमितीकरण की प्रक्रिया में अनियमितता बिल्कुल भी नहीं है। इसके साथ ही इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं पाया गया।