इंडिया न्यूज,नई दिल्ली न्यूज,(Supreme Court expresses ): लंबित अपीलों वाले दोषी कैदियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रति नाराजगी जताई हैं । सुप्रीम कोर्ट ने मामलों को लेकर कहा कि हमारा काम ज्यादा से ज्यादा कैदियों को नियमानुसार जमानत देना हैं । अगर हम समय पर न्याय नहीं करेंगे तो कैदियों के साथ अन्याय होगा, सैंकड़ो कैदी जमानत की चाह में 10 साल अधिक तक की सजा काट चुके हैं । उन्होंने यह भी कहा कि अगर मामलें ज्यादा हैं तो शनिवार,रविवार को भी काम करें, लेकिन सुनवाई समय पर होनी चाहिए । हाईकोर्ट को अब हटकर सोचना होगा अगर काम की अधिकता हैं तो हम लेने को तैयार हैं ।
10 साल से अधिक जेल में बिता चुके याचिकाकर्ता
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की पीठ ने कहा कि अगर हाई कोर्ट को इन याचिकाओं को निपटाने में कठिनाई हो रही है तो वह अतिरिक्त बोझ उठाने और याचिकाओं को शीर्ष कोर्ट में मंगाने के लिए तैयार है। पीठ ने कहा कि 853 लंबित आपराधिक अपीलें ऐसी हैं जिनमें याचिकाकर्ता 10 साल से अधिक जेल में बिता चुके हैं। शीर्ष अदालत ने मामले में टिप्पणी की, ‘हम कितनी बार आपसे कह चुके हैं कि हम व्यक्ति की आजादी के संबंध में काम कर रहे हैं।’
853 मामलों की सूची की जाए प्रस्तुत
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि 853 मामलों की सूची उसके सामने प्रस्तुत की जाए जिसमें उनका क्रमांक, दोषी व्यक्ति द्वारा हिरासत में बिताए गए समय का विवरण, इनमें से किन मामलों में सरकार जमानत का विरोध कर रही है और किस आधार पर विरोध कर रही है, इसका जिक्र होना चाहिए। इसके लिए शीर्ष अदालत ने सरकार को दो हफ्ते का समय दिया है।
आवेदनों को हफ्ते भर में निपटाएं
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट इलाहाबाद को सीनियर रजिस्ट्रार द्वारा दाखिल रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए कहा कि आवेदनों को हफ्ते भर में निपटा दें । कोर्ट ने रिपोर्ट में 15 साल से अधिक और 10 से 14 साल तक बंदी लोगों का विवरण है। मामले पर अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी।
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