देश

क्या अतुल सुभाष मामले से आएगा देश में बदलाव? दहेज कानून के गलत इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, इन मामलों को लेकर बेंच ने कहीं बड़ी बात

India News (इंडिया न्यूज), Supreme Court On Dowry Cases : अतुल सुभाष की आत्महत्या मामले ने सभी को हिलाकर रख दिया है। इस मामले के सामने आने के बाद देश में न्याय प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। अतुल की पत्नी ने उनपर दहेज उत्पीड़न समेत कई केस दर्ज कराए थे। अतुल सुभाष इसी वजह से परेशान चल रहे थे और आखिर में तंग आकर उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला ले लिया। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दहेज कानून के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताई है।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दहेज उत्पीड़न के मामलों को लेकर अदालतों को कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए सावधानी बरतने को कहा है। इसके अलावा पति के सगे-संबंधियों को फंसाने की प्रवृत्ति को देखते हुए निर्दोष परिवार के सदस्यों को अनावश्यक परेशानी से बचाना चाहिए।

अतुल सुभाष की आत्महत्या मामले के सामने आने के बाद जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, वैवाहिक विवाद से उत्पन्न आपराधिक मामले में परिवार के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी को संकेत करने वाले आरोपों के बिना उनके नाम का उल्लेख शुरू में ही रोक दिया जाना चाहिए।

Atul Subhash Suicide Case : अपनी जिंदगी खत्म करने से पहले… 4 साल के बेटे के लिए अतुल सुभाष ने छोड़ा खास गिफ्ट, चिट्ठी में लिखी हैरान करने वाली बात

पीठ ने क्या कुछ कहा?

वैवाहिक विवाद को लेकर पीठ ने कहा कि, न्यायिक अनुभव से यह सर्वविदित तथ्य है कि वैवाहिक विवाद उत्पन्न होने की स्थिति में अक्सर पति के सभी परिजनों को फंसाने की प्रवृत्ति होती है। ठोस सबूतों या विशिष्ट आरोपों के बिना सामान्य प्रकृति के और व्यापक आरोप आपराधिक अभियोजन का आधार नहीं बन सकते हैं। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अदालतों को कानूनी प्रावधानों और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकने एवं परिवार के निर्दोष सदस्यों को अनावश्यक परेशानी से बचाने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।

हाई कोर्ट के खारिज किया आदेश

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी तेलंगाना हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज करते हुए की है, जिसमें एक महिला द्वारा अपने पति, उसके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ दर्ज दहेज उत्पीड़न के मामले को खारिज करने से इनकार कर दिया गया था। इस मामले को लेकर पीठ ने कहा कि, संशोधन के माध्यम से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में धारा 498ए को शामिल किए जाने का उद्देश्य महिला पर उसके पति और उसके परिजनों द्वारा की जाने वाली क्रूरता को रोकना है, ताकि राज्य द्वारा त्वरित हस्तक्षेप सुनिश्चित किया जा सके। बेंच ने आईपीसी की धारा 498ए (पत्नी के खिलाफ पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता) जैसे प्रावधानों का दुरुपयोग करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, ताकि पत्नी द्वारा पति और उसके परिवार के खिलाफ व्यक्तिगत प्रतिशोध को बढ़ावा दिया जा सके।

पहले पत्नी ने कहा पैसे नहीं दे सकते तो कर लो आत्महत्या, फिर जज साहिबा ने लगाए ठहाके, अब मृतक इंजीनियर के भाई ने लगाए गंभीर आरोप

Shubham Srivastava

Recent Posts

AAP पर टिप्पणी करना पड़ा भारी! 20 हजार के बॉन्ड पर विजेंद्र गुप्ता को मिली जमानत

Delhi Elections 2025: दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष और बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता को आम…

3 minutes ago

खुसखबरी! देहरादून से प्रयागराज के लिए आज से हवाई सेवा शुरू, जानें किराया और समय सूची

India News (इंडिया न्यूज), Dehradun Airport: उत्तराखंड में 12 जनवरी से देहरादून एयरपोर्ट से प्रयागराज…

6 minutes ago

जिसको हटाने की धमकी दे रहे थे Trump, उसने शपथ ग्रहण से पहले ही कर दिया बड़ा खेला, जानिए कौन हैं वो पावरफुल शख्स?

Donald Trump: स्पेशल काउंसल जैक स्मिथ ने शुक्रवार को न्याय विभाग से इस्तीफा दे दिया…

13 minutes ago

बाबा महाकाल का भांग से त्रिपुंड बनाकर, कमल के फूलों की माला से अलौकिक श्रृंगार, भक्तों की भीड़ का उमड़ा सैलाब

India News (इंडिया न्यूज), Mahakaleshwar Temple: मध्य प्रदेश के उज्जैन श्री महाकालेश्वर मंदिर में हर…

22 minutes ago