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‘भगवान को राजनीति से दूर…’, तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट मुख्यमंत्री को भी लिया घेरे में पूछे कई सवाल

India News (इंडिया न्यूज), Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशु वसा के आरोपों पर आज सुनवाई की। इसमें शीर्ष कोर्ट ने धर्म और राजनीति के बीच विभाजन पर जोर दिया।

दो महीने बाद बयान क्यों दिया- सुर्प्रीम कोर्ट

अदालत ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा घी में मछली के तेल, गोमांस की चर्बी और लार्ड (सुअर की चर्बी) के अंश पाए जाने का दावा करने वाली प्रयोगशाला रिपोर्ट जारी करने के समय पर नकारात्मक रुख अपनाया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू को फटकार लगाते हुए पूछा कि जुलाई में आई रिपोर्ट पर उन्होंने दो महीने बाद बयान क्यों दिया।

‘टीटीडी से जुड़े रहे हैं सुब्रमण्यम स्वामी’

सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी, “इस तरह के बयानों का लोगों पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। जब सीएम ने खुद ऐसा बयान दिया है, तो राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती।”

वकील ने पूछा कि घी का सप्लायर कौन था? क्या इस तरह अचानक जांच की कोई व्यवस्था है? उन्होंने कहा कि कोर्ट को मामले की निगरानी करने की जरूरत है। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्वामी खुद टीटीडी ट्रस्ट से जुड़े रहे हैं? क्या उनकी याचिका को निष्पक्ष कहा जा सकता है?

मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी की मंशा साफ है। वह राज्य सरकार को निशाना बनाना चाहते हैं। इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि स्वामी कह रहे हैं कि सैंपल उस घी का लिया गया जिसका इस्तेमाल टीटीडी ट्रस्ट ने नहीं किया। इसके साथ ही जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जब जांच चल रही है तो उन्होंने बीच में ऐसा बयान क्यों दिया। सीएम का पद एक संवैधानिक पद है।

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि जुलाई में रिपोर्ट आने के दो महीने बाद बयान दिया गया। जब आपको यह नहीं पता था कि कौन सा घी का सैंपल लिया गया है, तो आपने बयान क्यों दिया? राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि कर्नाटक की सहकारी संस्था ‘नंदिनी’ से 50 साल से घी लिया जा रहा था। पिछली सरकार ने इसे बदल दिया।

इस पर जस्टिस गवई ने वकील से पूछा कि तथ्यों की पूरी पुष्टि किए बिना बयान देना क्यों जरूरी था? इस पर राज्य सरकार के वकील ने बताया कि जुलाई में जब घी आया था, तो कौन सा सैंपल जांच के लिए भेजा गया था? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते है कि भगवान को राजनीति से दूर रखें।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि आपने 26 सितंबर को एसआईटी बनाई लेकिन घी की गुणवत्ता पर बयान पहले ही दे दिया। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि आप यह भी कह सकते थे कि पिछली सरकार में घी का टेंडर गलत तरीके से आवंटित किया गया था। आपने सीधे तौर पर प्रसाद पर सवाल उठाए।

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Ankita Pandey

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