इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Supreme Court On Ukraine Crisis सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों व अन्य लोगों को सुरक्षित भारत लाने के लिए केंद्र सरकार की कोशिशें काबिलेतारीफ हैं। चीफ जस्टिस एनवी रमण, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, हालांकि अब भी जो छात्र युद्धग्रस्त देश में फंसे हैं उनको लेकर हम चिंतित हैं।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल आज यूक्रेन संकट पर भारत सरकार के कदमों व अब तक वहां से स्वदेश लाए जा चुके भारतीयों की जानकारी कोर्ट को दे रहे थे। केन्द्र सरकार की ओर से दाखिल प्रतिवेदन में 17 हजार भारतीयों को निकाले जाने का दावा किया गया है। इसी पर शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की। शीर्ष कोर्ट भारतीय छात्रों और अन्य लोगों को निकालने के लिए दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।
अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि यूक्रेन से अब तक 17,000 भारतीयों को निकाला जा चुका है। उन्होंने कोर्ट में कहा कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने याचिकाकर्ता उन छात्रों से संपर्क किया जो यूक्रेन की सीमाओं पर फंसे थे। गौरतलब है कि सिंधिया सहित केंद्र सरकार के चार मंत्री यूक्रेन के पड़ोसी देशों रोमानिया, हंगरी आदि देशों में गए हैं ताकि वे वहां की सरकारों से समन्वय बिठाकर संकट में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने में मदद कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल से कहा कि वह यूक्रेन में फंसे भारतीयों लोगों व छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए उठाए जा रहे कदमों व छात्रों के परिजनों लिए हेल्पलाइन की संभावना आदि को लेकर केंद्र सरकार से निर्देश लेने के लिए कहा है। इस दौरान पीठ ने यह भी कहा, यह दुखद है कि हमने पहले की गलतियों से कुछ सीखा नहीं और अब भी युद्ध का सहारा लिया। उन्होंने कहा, छात्रों को लेकर हमें चिंता है और हमारे पास ज्यादा कुछ नहीं है।
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