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Supreme Court: 28 साल पुराने हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिता-पुत्र को किया बरी, दिया यह तर्क

India News (इंडिया न्यूज़), Supreme Court, दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक आदेश को रद्द कर दिया है और 1995 में उत्तराखंड के मंगलौर में हुई हत्या के एक मामले में पिता-पुत्र को बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति वी (Supreme Court) रामासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने फैसला सुनाया। रूड़की अदालत और उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में पिता-पुत्र मोहम्मद मुस्लिम और शमशाद दोषी ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया।

  • 1995 में हई हत्या
  • हाईकोर्ट ने आदेश बरकरार रखा
  • संदेह का लाभ दिया

सुप्रीम कोर्ट ने 10 सितंबर 2010 के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली पिता-पुत्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। 25 अप्रैल 1998 को रूड़की के सत्र न्यायालय के सबसे पहले मामले 25 अप्रैल 1998 को फैसला सुनाया गया था।

आदेश को रद्द किया

सुप्रीम कोर्ट ने रूड़की अदालत ने 25 अप्रैल, 1998 और उत्तराखंड उच्च न्यायालय के 10 सितंबर, 2010 के आदेश को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की दोनों को संदेह का लाभ देकर बरी किया जाता है।’

1995 का है मामला

रूड़की कोर्ट ने 1995 के हत्या के एक मामले में पिता-पुत्र को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस सजा को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था। शीर्ष अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष मृतक अल्ताफ हुसैन पर हमले और उसकी मौत में शामिल आरोपियों का अपराध साबित करने में विफल रहा।

संदेह के आधार पर

कोर्ट के अनुसार “तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता, विशेष रूप से मृतक अल्ताफ हुसैन के बेटे और भतीजे का अप्राकृतिक व्यवहार और आचरण, एफआईआर का समय और घटना स्थल पर छोड़े गए ‘लोई’ (कंबल) और साइकिल को अदालत के समक्ष पेश नहीं किया गया। यह हमें घटनास्थल पर मृतक अल्ताफ हुसैन के बेटे और भतीजे की उपस्थिति पर संदेह करने के लिए मजबूर करता है।

1995 में हई हत्या

कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार, हम दोनों आरोपी-अपीलकर्ताओं को संदेह का लाभ देने के लिए बाध्य हैं। अदालत ने यह भी कहा कि दो व्यक्तियों के अलावा घटना का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है। यह घटना 4 अगस्त, 1995 को पुलिस स्टेशन मैंगलोर के अधिकार क्षेत्र में हुई थी। पुलिस ने न्यायिक मजिस्ट्रेट, रूड़की की अदालत में आरोपी व्यक्ति, मोहम्मद मुस्लिम और शमशाद के खिलाफ धारा 302 आईपीसी (हत्या) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था।

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Roshan Kumar

Journalist By Passion And Soul. (Politics Is Love) EX- Delhi School Of Journalism, University Of Delhi.

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