1989 में कश्मीर में मारे गए टीका लाल टपलू के बेटे आशुतोष की याचिका सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार याचिका में कहा गया था कि 32 साल बीत गए है परिवार को यह भी नहीं पता कि मामले में किस तरह की जांच हुई परिवार को एफआईआर की कॉपी तक नहीं दी गई।

वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया ने 1984 सिख नरसंहार के 3 दशक बाद सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनी SIT का हवाला दिया। उन्होंने इस मामले समेत 1989-90 में हुए नरसंहार की भी जांच की मांग करी है। लेकिन जस्टिस बी आर गवई और सी टी रविकुमार की बेंच ने कहा हमने पहले इससे मिलती-जुलती याचिका खारिज की है, अब इसे नहीं सुन सकते।

नरसंहार के इतने साल बाद सबूत लाना सभंव नही

2 सितंबर को इसी बेंच ने जम्मू-कश्मीर में 1989 से 2003 के बीच हुए हिंदू और सिखों के नरसंहार की एसआईटी जांच और अधिक्रमण के पुनर्वास की मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता संस्था ‘वी द सिटीजन्स’ को कहा था कि वह केंद्र सरकार को इसके लिए बताने का कार्य करें इससे पहले 2017 में भी सुप्रीम कोर्ट ने ‘रूट्स इन कश्मीर’ नाम की संस्था की ऐसी ही याचिका सुनने से मना किया था तब कोर्ट ने कहा था कि 1990 में हुए नरसंहार के इतने साल बाद सबूत लाना सभंव नही।

यह भी पढ़ें- 1990 में हुए नरसंहार के इतने साल बाद सबूत लाना सभंव नही।