इंडिया न्‍यूज। Delhi News: Supreme Court Verdict: लिव इन रिलेशनशिप को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। इस फैसले के तहत अब लिव इन रिलेशनशिप में महिला से जन्‍मे शिशु को पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलेगा। इस फैसले का क्‍या असर होगा, इस पर हम आपको पूरी जानकारी दे रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है यदि महिला और पुरुष लिव इन में रहते हैं तो ऐसे में मान लिया जाता है कि दोनों की शादी हुई होगी। ऐसे में उनसे पैदा हुए बच्‍चों को पैतृक संपत्ति में हक मिलना चाहिए।

किस केस के आधार पर किया फैसला

केरल हाईकोर्ट ने 2009 में पैतृक संपत्ति विवाद में फैसला दिया था। इस केस में महिला और पुरुष लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे। इस पर हाईकोर्ट ने पैतृक संपत्ति में अधिकार देने से मना कर दिया था। इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने दुरुस्‍त करते हुए कहा है कि ऐसे बच्‍चों का पैतृक संपत्ति में अधिकार होगा।

क्‍या था केस, इसे ऐसे समझिए

केरल में कत्तूकंडी इधातिल करनल वैद्यार की पैतृक संपत्ति को लेकर विवाद कोर्ट में था। कत्तूकंडी की चार संतान थी। पहली दामोदरन, दूसरी अच्‍युतन, तीसरी शेखन और चौथी नारायण। इस मामले में दामोदरन याचिकाकर्ता है। करुणाकरन ने बताया कि अच्‍युतन का बेटा है। वहीं नारायण और शेखन अवि‍वाहित रहते हुए स्‍वर्ग सिधार गए थे।

दूसरी तरफ करुणाकरन का दावा था कि वह अच्‍युतन की इकलौती संतान है और बाकी के तीनों भाई अविवाहित थे। याचिकाकर्ता की मां ने दामोदरन से विवाह नहीं किया था इसलिए वह वैध संतान नहीं है। इस कारण उसे संपत्ति में अधिकार नहीं मिल सकता।

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ऐसे बढ़ा विवाद और कोर्ट तक पहुंचा

परिवारों में संपत्ति को लेकर विवाद बढ़ा तो पहले वे ट्रायल कोर्ट में गए। यहां कोर्ट ने तथ्‍यों के आधार पर माना कि दामोदरन और चिरुथाकुट्टी लंबे अर्से तक एक साथ रहे। इसी आधार पर माना जा सकता है कि दोनों ने शादी की थी। इसी आधार पर कोर्ट ने संपत्ति में अधिकार देने का आदेश दिया।

केरल हाईकोर्ट क्‍यों पहुंचा केस

इस पर दोनों पक्षों में विवाद हुआ और दोनों ही हक के लिए केरल हाईकोर्ट पहुंचे। यहां पर हाईकोर्ट ने कहा कि दामोदरन और चिरुथाकुट्टी के एक साथ रहने के सबूत नहीं हैं। ऐसे में संपत्ति में अधिकार नहीं दिया जा सकता।

अब सुप्रीम कोर्ट से मिला न्‍याय

केरल हाईकोर्ट के बाद केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। यहां पर कोर्ट ने माना कि दामोदरन और चिरुथाकुट्टी लंबे समय तक एक साथ रह रहे थे।

इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि अगर पुरुष और महिला लंबे अर्से तक पति-पत्नी के रूप में साथ रह रहे हों, तो माना जा सकता है कि दोनों में शादी हुई थी। ऐसा अनुमान एविडेंस एक्ट की धारा 114 के तहत लगाया जा सकता है।

इसके साथ ही कोर्ट ने भी कहा कि इस अनुमान का खंडन भी हो सकता है। लेकिन इसके लिए यह तथ्‍य लाने होंगे दोनों एक साथ तो रहे, लेकिन उन्‍होंने विवाह नहीं किया।

इस फैसले का क्‍या होगा असर?

भारत में लिव इन रिलेशनशिप को सामाजिक मान्‍यता मिल चुकी है। यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अगर पुरुष और महिला एक साथ रहते हैं और उनकी संतान होती है तो उसे पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलेगा।

क्‍या है पैतृक संपत्ति?

विरासत में मिलने वाली प्रॉपर्टी को पैतृक संपत्ति कहा जाता है। इसे पुश्‍तैनी संपत्ति भी कहा जाता है। पैतृक संपत्ति पर अभी तक सिर्फ उत्‍तराधिकारियों का ही हक होता है। पैतृक संपत्ति के मामले में हिंदू उत्‍तराधिकार एक्‍ट और भारतीय उत्‍तराधिकार एक्‍ट लागू होते हैं। वहीं मुस्लिमों में उनका शरीयत का कानून लागू होता है। इसके साथ ही उत्‍तराधिकारी अपनी इच्‍छा से पैतृक संपत्ति को बेच नहीं सकता।

पैतृक संपत्ति में बेटी का भी हक

वर्ष 2005 से पहले पैतृक संपत्ति में बेटियों का हक नहीं था। इसके बाद से पैतृक संपत्ति में बेटियों को भी बराबर का हक दिया जाता है। इसेे इस तरह समझा जा सकता है कि जिस संपत्ति पर पोते का हक होगा उस पर नवासे का भी बराबर का हक होगा।

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