India News (इंडिया न्यूज), Swiggy CEO On Work Culture: इन दिनों वर्क कल्चर को लेकर खूब चर्चा हो रही है। दरअसल कुछ दिनों पहले ये खबर आई थी कि एक कंपनी में काम करने वाली लड़की के वर्कलोड और बॉस द्वारा बीमार होने पर भी छुट्टी नहीं देने पर एक लड़की की हार्ट अटैक से मौत हो जाती है। फिर अभी खबर आई कि एचडीएफसी बैंक में काम करने वाली एक कर्मी की बैंक में ही मौत हो आती है। इस तरह के वर्क कल्चर को लेकर स्विगी फूड एंड मार्केटप्लेस के सीईओ रोहित कपूर ने बहुत ही बढ़िया बयान दिया है। जिसकी जमकर तारीफ हो रही है। बेंगलुरु में आयोजित TechSparks 2024 कार्यक्रम में बढ़ती हुई “हसल कल्चर” पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने काम और निजी जीवन के बीच बेहतर संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
इस कार्यक्रम के दौरान रोहित कपूर ने क्या कहा?
बेंगलुरु में आयोजित इस कार्यक्रम में बोलते हुए रोहित कपूर ने कहा कि, “आपको हर दिन रात 3 बजे तक काम करने की जरूरत नहीं है। काम करने के लिए मेहनत जरूरी है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि इसके लिए पागल होना पड़े।” उन्होंने आगे बताया कि किसी भी सफलता को प्राप्त करने के लिए हार्ड वर्क करना बेहद जरुरी है, लेकिन इसके लिए अपनी मानसिक और शारीरिक सेहत को दांव पर नहीं लगाना चाहिए। कपूर ने ख़ास कर देर रात तक काम करने के चलन के खिलाफ सलाह दी और कर्मचारियों को परिवार के साथ समय बिताने की अहमियत समझाई। उनके अनुसार, “मेरी जिंदगी में कुछ भी आसानी से नहीं आया, लेकिन मैंने खुद को पागलपन की हद तक नहीं धकेला। आपको पागल होने की जरूरत नहीं है। ” उन्होंने कहा, “घर जाओ…बीवी हैं, बच्चे हैं, गर्लफ्रेंड है, कुछ तो करो उनके साथ जाकर।”
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सोशल मीडिया पर इस बयान की जमकर हो रही तारीफ
रोहित कपूर के इस बयान को सोशल मीडिया पर जमकर सराहना मिल रही है। उनका वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। कई लोगों ने उनके विचारों का समर्थन किया है। एक इंस्टाग्राम यूजर ने इस वीडियो पर कमेंट करते हुए लिखा, ‘नारायण मूर्ति यह देखकर पैनिक अटैक का सामना कर रहे होंगे’, दरअसल इस यूजर का इशारा इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति के 70 घंटे के कार्य सप्ताह की सलाह की ओर इशारा था। एक अन्य यूजर ने लिखा, “आखिरकार, किसी ने हमारी तरह सामान्य बात की।” कई यूजर्स ने भी काम और निजी जीवन के संतुलन पर बात करने की जरूरत महसूस की है। एक ने लिखा, “ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस बारे में बात करनी चाहिए,” जबकि दूसरे ने कहा, “आखिरकार, किसी ने ‘हसल कल्चर’ पर सही बात कही।”
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