India News (इंडिया न्यूज),Tahawwur Rana: मायानगरी मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले ने भारत ही नहीं पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। इस हमले में जीवित बची देविका रोटावन ने आज यानि गुरुवार को कहा कि मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा का अमेरिका से प्रत्यर्पण होना भारत के लिए बहुत बड़ी जीत है। उन्होंने मांग की कि पाकिस्तान में छिपे अन्य साजिशकर्ताओं का भी पर्दाफाश कर उन्हें सजा मिलनी चाहिए।
रोटावन 26/11 मामले में अहम गवाह हैं, जिन्होंने ट्रायल के दरम्यान अदालत में आतंकी मोहम्मद अजमल कसाब की पहचान की थी। उन्होंने राणा (64) के लिए मौत की सजा की मांग उठाई है। बता दें, मुंबई हमलों के वक्त रोटावन की उम्र महज नौ साल थी। वह दक्षिण मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) पर हुई फायरिंग में फंस गई थी। उसके पैर में गोली लगी थी। कसाब के ट्रायल में उसकी गवाही अहम रही। कसाब को बाद में मुंबई की एक अदालत ने हमलों में उसकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया और 2012 में उसे फांसी पर लटका दिया गया।
राणा के भारत प्रत्यर्पण के बारे में बोलते हुए, रोटावन जो अब 25 वर्ष की है, ने कहा कि वह खुश है कि भारत को देश में आतंकवादी हमलों के एक साजिशकर्ता को न्याय के कटघरे में लाने का अवसर मिला है। “यह देश के लिए एक बड़ी जीत है और मैं इस कामयाबी के लिए भारत सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूँ। राणा को न्याय के कटघरे में लाने से भारत में आतंकवाद के खात्मे की शुरुआत हुई है,” उन्होंने कहा। 26 नवंबर, 2008 को, रोटावन अपने पिता और भाई के साथ पुणे जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रही थी, जब भीड़भाड़ वाले स्टेशन पर हमला हुआ।
खून-खराबे से भरी उस रात को याद करते हुए रोटावन ने कहा, “मैंने एक आदमी (जिसे बाद में कसाब के रूप में चिन्हित किया गया) को अपने हाथ में एक बड़ी बंदूक लेकर यात्रियों पर गोलियां बरसाते देखा। मैंने कई लाशें और घायल यात्री देखे। मैं तब महज नौ साल की थी। मुझे नहीं मालूम था कि मेरी आँखों के आगे ये सब क्या चल रहा था।” गोलीबारी में घायल होने के बाद वह बेहोश हो गई और उन्हें पास के सेंट जॉर्ज अस्पताल और फिर मध्य मुंबई के सरकारी जे.जे. अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसके पैर की छह सर्जरी की गईं।