India News (इंडिया न्यूज), Telangana Kancha Gachibowli: तेलंगाना में हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास जंगलों को काटने का मुद्दा अब दिल्ली तक पहुंच गया है। राज्य में कांग्रेस की सरकार होने के कारण बीजेपी ने कांग्रेस को घेरने का काम शुरू कर दिया है। हैदराबाद यूनिवर्सिटी से सटे कांचा गाचीबोवली गांव में हरियाली साफ करने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के नेता तजिंदर बग्गा ने दिल्ली में पोस्टर लगाए। ये पोस्टर दिल्ली की सड़कों पर दिखाई दिए जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर हमला किया गया। होर्डिंग्स में लिखा था, “राहुल गांधी जी कृपया तेलंगाना में हमारे जंगलों को काटना बंद करें।”
मालूम हो कि कांचा गाचीबोवली के जंगल को काटने को लेकर तेलंगाना में प्रदर्शन हो रहे हैं और जनता मांग कर रही है कि जंगल को न काटा जाए। वहीं, 3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के कांचा गाचीबोवली में एक वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई का स्वत: संज्ञान लेते हुए उस स्थान पर पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी थी और मुख्य सचिव को चेतावनी दी थी कि अगर उसके आदेश का पालन नहीं किया गया तो इसके परिणाम भुगतने होंगे। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, “यह बहुत गंभीर मामला है। कानून को अपने हाथ में नहीं लिया जा सकता।”
Telangana Kancha Gachibowli (तेलंगाना में जंगलों के विनाश पर राहुल गांधी पर हमलावर हुई भाजपा)
#WATCH | Delhi | Hoardings put by BJP leader Tajinder Bagga can be seen at several places in the National Capital with the slogan “Rahul Gandhi ji please stop cutting down our jungles in Telangana”, related to the issue of clearance of green cover in Kancha Gachibowli village, an… pic.twitter.com/VANFV8SGjb
— ANI (@ANI) April 5, 2025
अदालत ने आदेश दिया कि अगले आदेश तक वहां पहले से मौजूद पेड़ों की सुरक्षा को छोड़कर किसी भी तरह की कोई गतिविधि नहीं होगी। पीठ ने आगे कहा कि तेलंगाना के मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे और अगर अदालत के निर्देशों का सही भावना से पालन नहीं किया गया तो कार्रवाई की जाएगी। पीठ ने मुख्य सचिव से अदालत के सवालों का जवाब देने को कहा, जिसमें यह बताना भी शामिल है कि वन क्षेत्र से पेड़ों को हटाने सहित विकासात्मक गतिविधियों को शुरू करने की “आवश्यक आवश्यकता” क्या थी।
पीठ ने मुख्य सचिव से हलफनामे में यह भी स्पष्ट करने को कहा कि क्या राज्य ने पर्यावरण प्रभाव आकलन प्रमाणपत्र और ऐसी गतिविधि के लिए वन अधिकारियों या किसी अन्य प्राधिकरण से अपेक्षित अनुमति का विकल्प चुना है। साथ ही, केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) को भी मौके पर जाकर 16 अप्रैल से पहले अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा। तहसील का दौरा करने के बाद तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए पीठ ने कहा कि रिपोर्ट से पता चलता है कि वन क्षेत्र में भारी विकास कार्य किए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “रजिस्ट्रार (न्यायिक) की रिपोर्ट और उनके द्वारा भेजी गई तस्वीरें भयावह तस्वीर पेश करती हैं। बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई की जा रही है, साथ ही करीब 100 एकड़ क्षेत्र को नष्ट करने के लिए भारी मशीनरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि उक्त क्षेत्र में कुछ मोर, हिरण और पक्षी भी देखे गए…प्रथम दृष्टया संकेत यह है कि जंगल में जंगली जानवरों का आतंक था।” गौरतलब है कि यह भूमि हैदराबाद के आईटी हब में स्थित है और लोगों द्वारा वहां हरियाली और वन्यजीवों के लिए जगह के नुकसान पर चिंता व्यक्त करने के कारण यह विवादास्पद हो गई है।