India News(इंडिया न्यूज),Temple Boards: केरल के दो प्रमुख मंदिर बोर्ड, त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) और मालाबार देवस्वोम बोर्ड (MDB) ने कुछ विशेष कारण से पवित्र अनुष्ठानों में ओलियंडर (अराली) के फूलों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिसका कारण ये बताया गया है कि इन फूलों में विषाक्त तत्व पाए जाते हैं। वहीं कुछ अध्ययनों के अनुसार, ओलियंडर, एक कठोर और सुंदर झाड़ी है, जो उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगती है।
टीडीबी ने जताई चिंता
वहीं इस मामले में टीडीबी के अध्यक्ष पी एस प्रशांत ने इन फूलों की जहरीली प्रकृति के बारे में चिंता जताए जाने के बाद एक बैठक आयोजित की, जिसके बाद उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मंदिरों में प्रसाद के लिए नए नियमों के बारे में निर्णय की घोषणा की, जो मनुष्यों और जानवरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पूजा के लिए ओलियंडर का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन भक्तों को मंदिरों में प्रसाद के लिए तुलसी, थेची और रोजा के फूल चढ़ाने चाहिए। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि मंदिर से सीधे भक्तों के हाथों में अराली के फूलों के पहुंचने की संभावना से बचा जा सके।
फूल पर प्रतिबंध का कारण
प्रशांत ने आगे कहा कि, “टीडीबी के अंतर्गत आने वाले मंदिरों में नैवेद्य और प्रसाद में अराली के फूलों के इस्तेमाल से पूरी तरह बचने का फैसला किया गया है। इसके बजाय तुलसी, थेची (इक्सोरा), चमेली, जामंती (हिबिस्कस) और गुलाब जैसे अन्य फूलों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके साथ ही इस मामले में एमडीपी अध्यक्ष एम आर मुरली ने कहा है कि, अराली के फूलों में विषाक्त तत्व पाए जाने के कारण अनुष्ठानों में उनके उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया गया है। “हालांकि अराली के फूलों का मंदिरों में अनुष्ठानों में व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन भक्तों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अध्ययनों में पाया गया है कि फूल में विषाक्त पदार्थ होते हैं।
महिला की मौत का बाद लिया गया निर्णय
टीडीबी को त्रावणकोर में 1,248 मंदिरों का प्रशासन करने का काम सौंपा गया है, जबकि एमडीबी अपने अधिकार क्षेत्र के तहत 1,400 से अधिक मंदिरों का प्रशासन करता है। यह निर्णय हाल ही में अलपुझा में एक महिला की उसके पड़ोस से अराली के फूल और पत्ते खाने के बाद मौत के बाद लिया गया। दो दिन पहले पथानामथिट्टा में ओलियंडर के पत्ते खाने के बाद एक गाय और बछड़े की मौत की दुखद खबरें भी आई थीं। कुछ अध्ययनों के अनुसार, ओलियंडर, एक कठोर और सुंदर झाड़ी है, जो उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगती है। अध्ययनों से पता चलता है कि ओलियंडर्स की पत्तियों और फूलों के अंदर कार्डेनोलाइड्स होते हैं, जो जानवरों और मनुष्यों के हृदय को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे उनकी धड़कनें तेज हो जाती हैं।