India News (इंडिया न्यूज),धीरेंद्र भट्टाचार्य: जामताड़ा की तर्ज पर प्रदेश में भी साइबर ठगों के कई गिरोह पनप गए हैं। इसके चलते प्रदेश में साइबर ठगों का एक तरह से जाल बिछ गया है। यह चौंकाने वाली जानकारी पुलिस मुख्यालय के साइबर सेल की जांच में सामने आया है। साइबर सेल ने प्रदेश में दस हजार से अधिक ऐसे साइबर ठगों के मोबाइल नंबरों को चिह्नित किया है, जिनके जरिए साइबर ठग प्रत्येक दिन लाखों रुपए लोगों से ऐंठ रहे हैं। इनमें कॉल सेंटर कोढ़ में खाज के रूप में उभरकर सामने आए हैं। चिन्हित नंबरों के ज्यादातर संचालक कॉल सेंटर की आड़ में ही भोले-भाले लोगों से ठगी का धंधा कर रहे हैं।
डीजी (साइबर सेल) रवि प्रकाश मेहरड़ा ने ‘इंडिया न्यूज’ से खास बातचीत में माना कि प्रदेश में कॉल सेंटर की आड़ में ही सबसे ज्यादा साइबर ठगी के मामले सामने आए हैं। साइबर ठग सरकारी और निजी बैंकों से चोरी और मिलिभगत से ग्राहकों के डेटा चुराकर दिन-रात ठगी की वारदात कर रहे हैं। पुलिस मुख्यालय की साइबर सेल ने अब ऐसे ठग गिरोह को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए ‘ऑपरेशन वज्र प्रहार’ का आगाज कर दिया है, जिसमें प्रदेश के दोनों कमिश्नरेट सहित तमाम जिला पुलिस अभियान के तहत साइबर ठगों को गिरफ्तार करने का बाकायदा टॉरगेट दिया गया है। शनिवार से शुरू हुई इस मुहिम से ऐसे ठगों में हडकंप मचा हुआ है।
डीजी मेहरड़ा ने बताया कि साइबर सेल की जांच-पड़ताल से यह स्पष्ट हो गया है कि कॉल सेंटर की आड़ में साइबर ठगों का धंधा फल-फल फूल रहा है। आम उपभोगता को विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने के लिए चल रहे ज्यादातर कॉल सेंटर साइबर ठगों की गिरफ्त में आ गए। अन्य राज्यों की साइबर सेल से भी प्रदेश में सक्रिय साइबर ठगों के जो मोबाइल नंबर सामने आए, उनकी जांच में ज्यादातर कॉल सेंटर के संचालकों के नाम सामने आए। इसीलिए पुलिस मुख्यालय की साइबर सेल ने साइबर ठगों के ऐसे दस हजार से भी अधिक मोबाइल नंबरों को चिन्हित कर गिरफ्तारी के लिए ऑपरेशन वज्र प्रहार शुरू किया है। डीजी का कहना था कि गिरफ्तारी के अभियान के बाद आरोपियों से पूछताछ में मिली जानकारी की तस्दीक की जाएगी और फिर कुकर मुत्ते की तहर बन रहे कॉल सेंटर पर नकेल डालने के लिए भी अलग से अभियान चलाया जाएगा।
साइबर सेल के डीजी ने बताया कि साइबर ठग बैंकों से लोन दिलवाने और जमा पैसा को डबल करने का झांसा देकर सबसे ज्यादा ठगी की वारदात कर रहे हैं। इसके लिए गिरोह सरगना बैंकों से ऐसे ग्राहकों का रिकार्ड भी हथिया लेते हैं, जिन्होंने लोन के लिए बैंक में आवेदन कर रखा है। डाटा चुराने के साथ-साथ ठग संबंधित बैंक के नंबर और उसके लोगो को भी हैक कर ग्राहक को बैंककर्मी बनकर जाल में फांस लेते हैं।
डीजी मेहरड़ा ने ऐसे ठगों ने बचने के लिए ग्राहकों से लोन जारी होने की प्रक्रिया के दौरान समय-समय पर संबंधित बैंक में जाकर सत्यता की जांच कर लेने की अपील भी की है, ताकि लोन के नाम पर साइबर ठगों की जाल में फंसने से बचा जा सके। ठगी के मामले में जरा सा भी शक होने पर ग्राहक को तत्काल संबंधित बैंक या जिला पुलिस की साइबर सेल से संपर्क करने की सलाह भी दी है। उन्होंने सरकारी और निजी बैंकों से किसी भी वित्तीय प्रक्रिया के दौरान अनजान लोगों से अपना ओटीपी शेयर नहीं करने की अपील भी की है।
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