India News(इंडिया न्यूज),Terrorism in Jammu Kashmir: कश्मीर घाटी के युवा अब आतंकवाद की बजाय मुख्यधारा की ओर लौट रहे हैं। यही वजह है कि आतंकियों की भर्ती में भारी कमी आई है। इससे पाकिस्तान हताश है। अब वह घाटी में पाकिस्तानी आतंकियों को भेजकर हमले की साजिश रच रहा है। इसे नाकाम करने और आतंकी संगठनों को सबक सिखाने के लिए सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसियां युद्धस्तर पर काम कर रही हैं।
इस साल अब तक दक्षिण और उत्तरी कश्मीर में 9 मुठभेड़ हो चुकी हैं। दक्षिण कश्मीर में मारे गए आतंकियों की तुलना अगर उत्तरी कश्मीर से की जाए तो पता चलता है कि यहां मारे गए आतंकी पाकिस्तानी मूल के थे। इस इलाके में अब तक दो बड़ी मुठभेड़ों में 4 आतंकी मारे जा चुके हैं। एक आतंकी घुसपैठ के दौरान उरी सेक्टर में मारा गया।
घाटी की फिजा में बारूद फैलाने की साजिश
उत्तरी कश्मीर में एक महीने से भी कम समय में मुठभेड़ों में पाकिस्तानी आतंकियों का मारा जाना कहीं न कहीं इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि पाकिस्तान एक बार फिर उत्तरी कश्मीर को दहलाने की साजिश रच रहा है। जैसा कि 2005 से 2015 तक इस इलाके में देखने को मिला। वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के अभियान के तहत इस इलाके में पड़ने वाले बारामुल्ला जिले को आतंकी मुक्त जिला घोषित किया गया।
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पिछले 6 महीनों में कश्मीर में हुई मुठभेड़ें
- 5 जनवरी: शोपियां में सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के एक स्थानीय आतंकी को मार गिराया।
- 5 अप्रैल: घुसपैठ की कोशिश नाकाम, उरी सेक्टर में एक आतंकी ढेर।
- 11 अप्रैल: पुलवामा में मुठभेड़ हुई। इसमें एक स्थानीय आतंकी मारा गया।
- 25 अप्रैल: सोपोर में मुठभेड़ में 2 पाकिस्तानी आतंकी मारे गए।
- 6 मई: कुलगाम में मुठभेड़ में 3 स्थानीय आतंकी मारे गए।
- 03 जून: पुलवामा में मुठभेड़ हुई। इसमें 2 स्थानीय आतंकी मारे गए।
- 17 जून: बांदीपोरा में मुठभेड़ में 1 स्थानीय आतंकी मारा गया।
- 19 जून: सोपोर में मुठभेड़ में 2 पाकिस्तानी आतंकी मारे गए।
अब्दुल वहाब की मौत पर पाकिस्तान ने जताया शोक
25 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के सोपोर में सुरक्षा बलों ने दो आतंकियों को मार गिराया था। इनमें से एक अब्दुल वहाब था। वह पाकिस्तान के रावलकोट का रहने वाला था। लश्कर-ए-तैयबा ने उसे कोड नाम अबू सैफुल्लाह दिया था। उसके साथ पाकिस्तान के मीरपुर में रहने वाले सनान जफर को भी इसी तरह मारा गया था। इसके बाद ISI ने POK में बड़ी मीटिंग बुलाई थी। इसमें लश्कर-ए-तैयबा के साथ-साथ जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी सरगना पहुंचे थे।
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