India News (इंडिया न्यूज), Women’s Reservation Bill: संसद के विशेष सत्र के बीच मोदी कैबिनेट ने एक अहम बैठक में महिला आरक्षण बिल को अपनी मंजूरी दी है। यह मुद्दा बीते 27 सालों से लंबित है। अब सवाल है कि क्या यह बिल लोकसभा (Lok Sabha) में पेश किया जाएगा? दरअसल इस मुद्दे को लेकर पहले भी कई बार कोशिशें हुई थी लेकिन इस मुद्दे पर लोकसभा में बात बन नहीं पाई। 2010 में राज्यसभा ने तो भारी हंगामे के बीच यह बिल पास कर दिया था, लेकिन लोकसभा में मामला अटक गया था। अब एक फिर इस मुद्दे को लेकर चर्चाएं हो रही हैं और उम्मीद की जा रही है कि मोदी सरकार बड़ा फैसला ले सकती है।
टाइम लाइन के जरिए जामिए कब क्या हुआ?
- सबसे पहली बार 1996 में महिला आरक्षण बिल संसद के पटल पर रखा गया था, उस समय एचडी देवगौड़ा पीएम थे। उस दौरान कई बार कोशिश हुई, लेकिन बात नहीं बन पाई।
- संशोधित महिला आरक्षण बिल 1997 में पेश किया गया, लेकिन तीन यादवों (मुलायम सिंह यादव, लालू यादव और शरद यादव) इसके रास्ते में बाधा बनकर खड़े हो गए।
- फिर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1998 और 1999 में भी बिल पेश किया लेकिन विपक्ष, विशेषकर सपा और आरजेडी के विरोध के कारण यह पास नहीं हुआ।
- एनडीए सरकार ने 2002 में एक बार और 2003 में दो बार बिल पेश किया, लेकिन बहुमत होने के बावजूद बिल पास नहीं करवाया जा सका।
- 20010 में भी यह बिल राज्यसभा से पास हो गया था, लेकिन लोकसभा में यह अटक गया था।
- 2017 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस संबंध में पीएम मोदी को पत्र लिखा था।
- 2023 संसद के विशेष सत्र के बीच मोदी कैबिनेट ने एक अहम बैठक में महिला आरक्षण बिल को अपनी मंजूरी दी है।
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