इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
The Story Of Pegasus Spyware: इस समय पेगासस स्पाइवेयर यानि जासूसी सॉफ्टवेयर काफी सुर्खियों में है। अमेरिकी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2017 में भारत सरकार ने इजराइल से इस सॉफ्टवेयर को खरीदा था। कहते हैं कि पेगासस सॉफ्टवेयर फोन के जरिए किसी की भी जासूसी कर सकता है। अब सवाल यह उठता है कि इजराइल का पेगासस स्पाइवेयर एक दशक में पूरी दुनिया में इतना ताकतवर जासूसी सॉफ्टवेयर कैसे बन गया। और किसने इस सॉफ्टवेयर को डेवलप किया था। आइए जानते हैं।
पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर है, जिसे इजराइली फर्म राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ग्रुप ने (nso group) डेवलप किया है। पेगासस, शायद अब तक का सबसे ताकतवर जासूसी सॉफ्टवेयर है। स्पाइवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है, जिसे किसी के फोन या कंप्यूटर डिवाइस में एंट्री करने, आपका डेटा एकत्र करने और आपकी सहमति के बिना इसे किसी थर्ड पार्टी को फॉरवर्ड करने के लिए डिजाइन किया जाता है। (cyber weapons)
(pegasus surveillance) बता दें यह सॉफ्टवेयर स्मार्टफोन (एंड्रॉयड, आईओएस) में घुसपैठ करने और उन्हें सर्विलांस या निगरानी डिवाइसेज में बदलने के लिए डिजाइन किया गया है। इजराइली कंपनी का दावा है कि पेगासस का उपयोग अपराधियों और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए एक टारगेटेड जासूसी टूल के रूप में होता है न कि लोगों की निगरानी में। हालांकि, महज कुछ ही साल में दुनिया भर की सरकारों ने इसका इस्तेमाल मनचाहे टारगेटेड लोगों की जासूसी में किया है। (pegasus hacking controversy)
न्यूयॉर्क रिपोर्ट के मुताबिक, एनएसओ कंपनी की शुरुआत 2000 के मध्य में तेल अवीव के पास स्थित बनई सियोन शहर में एक चिकन फार्म चलाने वाली बिल्डिंग से हुई थी। बिल्डिंग के मालिक को लगा कि चिकन से ज्यादा कमाई कोडर्स को बिल्डिंग किराए पर देने से हो सकती है। उसने सस्ते में आॅफिस खोज रहे टेक स्टार्टअप्स को बिल्डिंग किराए पर दे दी। इन्हीं में से एक स्टार्टअप उस एनएसओ कंपनी बनाने वालों का था, जिसने आगे चलकर दुनिया का सबसे खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर बनाया।
दुनिया के सबसे कुख्यात जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस को इजराइल की साइबर फर्म एनएसओ ग्रुप टेक्नोलॉजीज ने डेवलप किया है। एनएसओ कंपनी की स्थापना इजराइल की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर तेल अवीव में 2010 में हुई थी। एनएसओ की स्थापना तीन लोगों नीव कर्मी, शैलेव हुलियो और ओमरी लवी ने की थी। इन तीनों के नाम के पहले अक्षर को मिलाकर ही एनएसओ कंपनी बनी थी। इसका हेडक्वॉर्टर तेल अवीव के पास के शहर हर्जलिया में है।
(pegasus india) एनवाईटी रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 2017 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजराइल दौरे के दौरान भारत-इजराइल के बीच करीब 15 हजार करोड़ रुपए की डिफेंस डील हुई थी। कहते हैं कि इस डील में पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर भी शामिल था। पेगासस के बदले में भारत ने जून 2019 में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद में इजराइल के पक्ष में और फिलीस्तीन के खिलाफ वोट दिया था। ये पहली बार था, जब भारत ने इजराइल-फिलीस्तीन विवाद में किसी एक के पक्ष में वोट दिया था। (pegasus, nyt and india)
एनएसओ ग्रुप अपने कस्टमर्स से पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए 10 डिवाइसेज में सेंध लगाने के लिए करीब पांच से नौ करोड़ रुपए चार्ज वसूलता है और साथ ही इसके इंस्टॉलेशन के लिए करीब चार से पांच करोड़ रुपए चार्ज करता है।
The Story Of Pegasus Spyware
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