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कितने साल तक किराए पर रहने के बाद किरायेदार का हो जाएगा मकान, जानें इसपर लागू हुए नए प्रावधान

India News (इंडिया न्यूज), Property Knowledge: आजकल लोग अपने घर या फ्लैट्स को किराए पर देने का रुझान बढ़ा रहे हैं। यह एक अच्छा तरीका हो सकता है अतिरिक्त आय अर्जित करने का, लेकिन किराए पर देने से पहले मकान मालिक को कुछ महत्वपूर्ण कानूनी पहलुओं के बारे में अवगत होना चाहिए। कई बार, मकान मालिक अपनी संपत्ति को किराएदार के भरोसे छोड़ देते हैं, और इससे उन्हें परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है। खासकर, जब किराएदार संपत्ति पर अधिकार जताने की कोशिश करें। इस लेख में हम प्रॉपर्टी कानून के कुछ ऐसे पहलुओं के बारे में चर्चा करेंगे, जिन्हें हर मकान मालिक को जानना जरूरी है।

1. कब किराएदार जता सकता है मालिकाना हक?

प्रॉपर्टी कानून के तहत, अगर कोई किराएदार लगातार 12 साल तक किसी संपत्ति पर रहता है, तो वह उस पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है। यह कानून “प्रतिकूल कब्जे” (Adverse Possession) के अंतर्गत आता है, जो स्वतंत्रता से पहले का एक कानून है। हालांकि, इस कानून को लागू करने के लिए कुछ कठिन शर्तें हैं, जिनमें प्रमुख है कि किराएदार को साबित करना होता है कि उसने संपत्ति पर लगातार और बिना किसी रोक-टोक के कब्जा किया है।

किराएदार को यह साबित करना होता है कि वह संपत्ति पर लंबी अवधि से रह रहा है और इस दौरान मालिक ने किसी प्रकार की आपत्ति नहीं जताई। इसके साथ ही किराएदार को टैक्स रसीदें, बिजली-पानी के बिल, गवाहों के एफिडेविट जैसी जानकारियां भी उपलब्ध करनी होती हैं।

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यह कानून सरकारी संपत्तियों पर लागू नहीं होता है, लेकिन निजी संपत्तियों पर यह एक गंभीर खतरा हो सकता है, खासकर जब मकान मालिक ने कई वर्षों तक किराएदार को बिना किसी निगरानी के संपत्ति पर रहने दिया हो।

2. किराएदार को अपने अधिकार से कैसे बचाएं?

रेंट एग्रीमेंट (किरायानामा) बनवाना और इसे समय-समय पर अपडेट करना इस समस्या से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है। रेंट एग्रीमेंट में किराएदार और मकान मालिक के बीच सभी शर्तें साफ तौर पर लिखी जाती हैं, जैसे किराया, भुगतान की शर्तें, संपत्ति का उपयोग, और तय समय सीमा। एक रेंटल एग्रीमेंट कानूनी दस्तावेज़ होता है, जो किराएदार के अधिकारों और कर्तव्यों को स्पष्ट करता है और किसी भी कानूनी विवाद के मामले में सहायता करता है।

किराएदार को बदलने का भी एक अच्छा तरीका है, ताकि किराएदार लगातार लंबे समय तक एक ही जगह न रहे और मालिक की संपत्ति पर कब्जे का दावा न कर सके। रेंट एग्रीमेंट आमतौर पर 11 महीने के लिए होता है, जिसे बाद में बढ़ाया जा सकता है।

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3. क्या ध्यान रखना चाहिए मकान मालिक को?

  • समय पर रेंटल एग्रीमेंट बनवाएं: हमेशा सुनिश्चित करें कि आपके और किराएदार के बीच एक कानूनी रेंटल एग्रीमेंट हो, जिसमें सभी शर्तें स्पष्ट रूप से लिखी गई हों। यह एग्रीमेंट दोनों पक्षों को सुरक्षित करता है और कानूनी विवादों से बचाता है।
  • किराएदार को बदलें: यदि संभव हो तो समय-समय पर किराएदार को बदलने का प्रयास करें, ताकि वह लंबे समय तक एक ही स्थान पर रहने का दावा न कर सके। इससे किसी प्रकार के कब्जे का जोखिम कम हो सकता है।
  • सम्पत्ति की निगरानी रखें: अपनी संपत्ति की नियमित निगरानी करें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किराएदार ने कोई नियम उल्लंघन नहीं किया है या कोई बदलाव नहीं किया है।

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किराए पर संपत्ति देना एक अच्छा तरीका है अतिरिक्त आय अर्जित करने का, लेकिन मकान मालिक को प्रॉपर्टी कानूनों का अच्छी तरह से पालन करना चाहिए। खासकर, “प्रतिकूल कब्जे” जैसे कानूनी पहलुओं से बचने के लिए रेंट एग्रीमेंट और नियमित निगरानी बेहद महत्वपूर्ण हैं। यदि इन बातों का ध्यान रखा जाए, तो मकान मालिक अपनी संपत्ति को सुरक्षित रख सकते हैं और संभावित कानूनी समस्याओं से बच सकते हैं।

Prachi Jain

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