Economics Nobel Prize,  David Card, Joshua D Angrist, Guido imbanes
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

नोबेल कमेटी ने सोमवार को इकोनॉमिक्स नोबेल हासिल करने वाले विजेताओें की घोषणा कर दी है। हालांकि Nobel Prize की अधिकारिक वेबसाइट पर इस इनाम का कोई जिक्र नहीं है। इस बार 3 शोधकत्ताओं को यह पुरस्कार संयुक्त रूप से मिलने वाला है। इनमें से एक हैं डेविड कार्ड, दूसरे हैं जोशुआ डी. एंग्रिस्ट और तीसरे हैं गुइडो इम्बेन्स जिन्हें यह संयुक्त रूप से मिलेगा। मिनिमम वेज थ्योरी को लेकर डेविड की स्टडी को आधार माना गया है। वहीं, जोशुआ और गुइडो को कॉजल रिलेशनशिप पर काम करने को लेकर नोबेल विजेता घोषित किया गया है।

3 हिस्सों में बंटेगा पुरस्कार, आधे से ज्यादा पर डेविड का कब्जा

इस बार मिलने वाले इकोनॉमिक्स नोबेल की राशि को तीन भागों में बांटा गया है। जिसमें से 50 प्रतिशत पर डेविड कार्ड को चला जाएगा, वहीं बचे आधे हिस्से में से आधा-आधा एंग्रिस्ट और इम्बेन्स के हिस्से में आएगा।

Economics क्षेत्र में काम करने वालों को मिला

यह पुरस्कार डेविड कार्ड को लेबर इकोनॉमिक्स को लेकर की गई रिसर्च के लिए दिया गया है। शोध में उन्होंने कम वेतन का आधार बनाया है। उन्होंने थ्योरी में पाया कि मिनिमम वेज बढ़ने से बिजनेस मैन कम लेबर के सहारे काम करने लगते हैं। क्योंकि कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।

जोशुआ और गुइडो ने ‘कॉजल रिलेशनशिप’ पर स्टडी की थी। यानि किसी एक चीज का दूसरी चीज पर क्या असर पड़ता है। इकोनामिक्स में ‘कॉजल रिलेशनशिप’ का बहुत महत्व होता है, क्योंकि इसी आधार पर आप किसी पॉलिसी या नीति की सफलता का आकलन कर सकते हैं। यह तकनीक जोशुआ और गुइडो ने विकसित करने में महारत हासिल की है।

वैज्ञानिक अल्फ्रेड की वसीयत में नहीं था Economics में Nobel देने का जिक्र

दरअसल, नोबेल पुरस्कार वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल ने एक वसीयत की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी जमा पूंजी का एक फंड बना लिया जाए और उसे प्रतिवर्ष मानवता के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वालों को पुरस्कार के रूप में देकर सम्मानित किया जाए। इसके लिए उन्होंने फिजिक्स, फिजियोलॉजी/मेडिसिन, केमिस्ट्री, साहित्य व शांति के लिए काम करने वालों को पांच बराबर हिस्सों में बांटने के लिए कहा था। इकोनॉमिक्स के लिए उन्होंने वसीयत में कहीं जिक्र नहीं किया था, जिसके कारण इस पदक को नोबेल मानने से एक विशेष वर्ग इंकार करता आया है। क्योंकि नोबेल पुरस्कार देने वाले संस्था की अधिकारिक वेबसाइट पर इस तरह के नोबेल का वर्णन नहीं किया गया है।

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