India News (इंडिया न्यूज), Narayana Murthy: इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने भारत की तेजी से बढ़ती आबादी को देश की स्थिरता के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक बताया है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के बाद से जनसंख्या नियंत्रण की काफी उपेक्षा की गई है। अब यह एक चूक देश के भविष्य को खतरे में डाल रही है। उन्होंने आगे कहा कि भारत के सामने जनसंख्या, प्रति व्यक्ति भूमि उपलब्धता और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं से जुड़ी कई बड़ी चुनौतियां हैं।

जनसंख्या नियंत्रण पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया-नारायण मूर्ति

उन्होंने भारत की तुलना अमेरिका, ब्राजील और चीन जैसे देशों से करते हुए कहा कि इन देशों में प्रति व्यक्ति भूमि उपलब्धता कहीं अधिक है। आपातकाल के बाद से हमने जनसंख्या नियंत्रण पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है। इससे हमारे देश के अस्थिर होने का खतरा पैदा हो गया है। नारायण मूर्ति ने कहा कि अगली पीढ़ी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक पीढ़ी को कई त्याग करने पड़ते हैं।

भारत के लिए मैन्युफैक्चरिंग हब बननेको लेकर कही यह बात

मेरे माता-पिता, भाई-बहन और शिक्षकों ने मेरी प्रगति के लिए त्याग किया और मुख्य अतिथि के रूप में मेरी उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि उनका त्याग व्यर्थ नहीं गया है। पिछले महीने की शुरुआत में उन्होंने विनिर्माण क्षेत्र में चीन से प्रतिस्पर्धा करने की भारत की क्षमता पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि चीन की जीडीपी भारत से छह गुना अधिक है। ऐसे में भारत के लिए मैन्युफैक्चरिंग हब जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना दुस्साहस है। देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विकास के लिए सरकारी भागीदारी और लोक प्रशासन में सुधार जरूरी है।

उन्होंने कहा था कि चीन पहले ही दुनिया की फैक्ट्री बन चुका है। चीन में बनने वाले करीब 90 फीसदी सामान का इस्तेमाल दुनिया के सुपरमार्केट और घरों में हो रहा है। चीन की जीडीपी भारत से छह गुना ज्यादा है। ऐसे में हमारा यह कहना बहुत दुस्साहस है कि भारत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्लोबल लीडर बनेगा। जीडीपी वह अहम चुनौती है जिससे भारत को पार पाना है।

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