India News (इंडिया न्यूज), One Nation One Election Bill: लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल को पेश किया गया। इस बिल को स्वीकार करने को लेकर वोटिंग हुई। लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल को लेकर वोटिंग हुई। नई संसद में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से वोटिंग हुई। बिल पेश करने के पक्ष में 269 वोट पड़े। जबकि इसके खिलाफ 198 वोट पड़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंबे समय से चल रही इस योजना का उद्देश्य देशभर में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराना है, ताकि चुनाव खर्च और प्रशासनिक बोझ को कम किया जा सके। अभी लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे कई चुनौतियां सामने आती हैं।
इसको लेकर केंद्र सरकार का कहना है कि, अगर चुनाव एक साथ होने लगे तो चुनाव खर्च एक बार ही हो सकेगा और काफी पैसा बचेगा। लेकिन यह राह आसान नहीं है। अगर संसद कानून बनाती भी है तो इसमें कम से कम 10 साल लग जाएंगे। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, सितंबर में सरकार ने रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी। मंगलवार (17 दिसंबर, 2024) को इस वन नेशन वन इलेक्शन बिल को संसद में पेश किया गया है। सदन में कांग्रेस और सपा ने इस बिल का विरोध किया। फिर इसके बाद बिल को स्वीकार करने को लेकर वोटिंग हुई। इस बिल के पक्ष में 269 तो विपक्ष में 198 वोट पड़े।
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एक देश एक चुनाव को लागू करने के लिए सबसे पहले संविधान संशोधन जरूरी है। इसके तहत पांच प्रमुख अनुच्छेदों- अनुच्छेद 83, 85, 172, 174 और 356 में बदलाव करने होंगे। ये अनुच्छेद लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल, उन्हें भंग करने के अधिकार और राष्ट्रपति शासन से जुड़े हैं। संसद में विधेयक पारित कराने के लिए सरकार को दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत जुटाना होगा। इसके अलावा कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं से इसे मंजूरी दिलवानी होगी। इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से यह कानून बन सकता है। कानून बनने के बाद भी इसे कई चरणों में लागू करना होगा। चुनाव आयोग को बड़ी संख्या में ईवीएम और वीवीपैट की जरूरत होगी, जिसके निर्माण और परीक्षण में समय लगेगा।
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विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर यह विधेयक बिना किसी बदलाव के पारित भी हो जाता है, तो भी इसे पूरी तरह लागू होने में 10 साल लग सकते हैं। इसकी वजह यह है कि, मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 2029 में खत्म होगा और उसके बाद निर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक में इसे अधिसूचित किया जाएगा। चुनाव आयोग के मुताबिक एक साथ चुनाव कराने के लिए जरूरी ईवीएम और दूसरे संसाधनों का इंतजाम करने में कम से कम तीन साल का वक्त लगेगा। इसके अलावा अगर जल्दबाजी में कदम उठाए गए तो तकनीकी और प्रशासनिक खामियां सामने आ सकती हैं।
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