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राजस्थान को पंजाब बनाने की स्थिति में नहीं हैं गांधी परिवार

Umesh Kumar Sharma • LAST UPDATED : September 23, 2022, 8:18 pm IST
  • गहलोत सीएम का छोड़ेंगे पद, लेकिन अपने हिसाब से : अजीत मैदोला

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (To Rajasthan)। राजस्थान को पंजाब बनाने की स्थिति में नहीं हैं गांधी परिवार। वहीं अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान का मुख्य्मंत्री पद छोड़ेंगे लेकिन वे कब छोड़ेंगे इसे लेकर वह अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहे है।

सीएम गलहोत ने बातचीत के दौरान यह बताया कि अध्य्क्ष बनने के बाद उनकी कोशिश रहेगी कि पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत बनाया जाए ताकि सांप्रदायिक शक्तियों से लड़ा जा सके। इसके लिए विपक्ष को और मजबूत होने की जरूरत है। लेकिन यह पूछे जाने पर वे मुख्यमंत्री का पद कब छोड़ेंगे, इस पर वे चुप्पी साध ली। इस मामले में उन्होंने यही कहा कि वे इसका फैसला वह आलाकमान सोनिया गांधी पर छोड़ दिए है।

पार्टी एक व्यक्ति एक पद के अपने वादे पर है कायम

गौरतलब है कि कोच्ची में राहुल गांधी ने यह कहा कि उनकी पार्टी एक व्यक्ति एक पद के अपने वादे पर कायम है। दूसरी ओर यदि सीएम गहलोत अध्यक्ष बनें तो दो पद नहीं संभाल सकते हैं। राहुल गांधी के इस बयान से नये मुख्य्मंत्री को लेकर राजस्थान की राजनीति गर्मा गई है।

इस बयान के बाद सचिन पायलट गुट की ओर से सोशल मीडिया पर यह चला दिया गया कि सचिन पायलट राजस्थान के मुख्य्मंत्री बन रहे हैं। कुछ मीडिया ने भी एक तरह से उनको मुख्यमंत्री घोषित कर दिया।

गहलोत अपनी सुविधा के अनुसार करेंगे काम

पार्टी में इतना कहा जाने लगा कि इसे लेकर सोनिया गांधी ने बुलाया है। जबकि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था। दूसरी ओर कुछ ने सीपी जोशी, बीडी कल्ला जैसे नेताओं का नाम चलाया लेकिन शुक्रवार आते आते सीएम बदलने की बात थोड़ी ठंडी पड़ गई। नेताओं, कार्यकर्ताओं और मीडिया के बीच ही बदलाव की बात चर्चाओं में सीमित रह गई। अब सीएम से की गई बातचीत से यही स्पष्ट हुआ है कि गहलोत सीएम पद छोड़ेंगे लेकिन अपनी सुविधा के अनुसार ही छोड़ेंगे।

अब यह कयास लगाया जाने लगा है कि गहलोत गुजरात चुनाव तक मुख्यमंत्री बने रह सकते है। ताकि राज्य के चुनाव पर कोई असर न पड़े। वहीं कुछ लोग यह कहते है कि गहलोत बजट पेश करने के बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ेंगे। गौरतलब है कि गहलोत का पिछला बजट बहुत चर्चित रहा था। इस बार उनकी योजना ऐसी बजट तैयार करने की है जिसे पार्टी लोकसभा चुनाव में अपने प्रमुख वायदों में शामिल कर सके।

पार्टी ने गहलोत को अपना फैसला स्वयं लेने का दिया अधिकार

पार्टी की ओर से अपना फैसला स्वयं लेने का अधिकार दिये जाने के बाद आज मुख्यमंत्री गहलोत संतुष्ट दिखे और अपने तय कार्यक्रम के अनुसार अपने कार्य करते देखे गए। इसमें गौर करने वाली बात यह रही कि जब सोशल मीडिया बदलाव की तमाम खबरें चला रहा थी तब मुख्यमंत्री गहलोत कोच्ची में राहुल गांधी के साथ बैठक कर रहे थे।

इतना ही नहीं गहलोत देर रात तक भारत यात्रा में साथ चल रहे कार्यकर्ताओं से भी उन्होंने विचार विमर्श किया। राहुल गांधी ने अपने दिल्ली दौरे को स्थगित कर दिया। आज गहलोत ने कोच्ची से शिरडी जाकर साई बाबा का दर्शन कर उनसे नई जिम्मेदारी के लिये आशिर्वाद लिया। मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश अध्य्क्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी साथ रहे। दोनों नेताओं ने आम लोगों के साथ फोटों खींचवाई।

गांधी के नहीं मानने पर पार्टी अध्यक्ष पद का लड़ेंगे चुनाव

गहलोत जयपुर में अपने विधायकों से यह कह कर आये थे कि उनकी पहली कोशिश राहुल गांधी को फिर से अध्य्क्ष बनने के लिये राजी करने की है। अगर राहुल गांधी उनकी मांगों को नहीं मानेंगे तो वह पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे।

गहलोत ने बताया उन्होंने राहुल को मनाने की हर संभव कोशिश की लेकिन राहुल गांधी नहीं माने। इसके बाद सीएम गहलोत शिरडी में स्थित साई बाबा का दर्शन कर देर शाम वापस जयपुर लौट गये। इसके बाद वे फिर से बैठको में व्यस्त हो गये हैं। इसका यही अर्थ हुआ कि वे जानते हंै कि कब क्या होगा।

लोकतांत्रिक तरीके से ही होगा चुनाव

उन्होंने नामांकन के सवाल पर कहा कि मुझे चुनाव लड़ना है। जल्द पता चल जायेगा कब नामंकन भरना है। हमारी पार्टी में लोकतंत्र है और लोकतांत्रिक तरीके से ही चुनाव होगा। जो चुनाव लड़ना चाहेगा वह लड़ेगा। हमलोग एक नई शुरूआत करने जा रहे हैं। गहलोत ने कहा कि आज देश का जो हालात है उसमे प्रतिपक्ष का मजबूत होना बहुत जरूरी है।

इसके लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। चुनाव परिणाम के बाद में हम सब मिलकर कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए ब्लॉक, गांव, जिला स्तर पर पार्टी को मजबूत करेंगे। गहलोत के हावभाव से यह साफ था कि भले ही वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्य्क्ष बनने जा रहे है, लेकिन राजस्थान में वही होगा जो वह चाहेंगे।

गहलोत को समझना है मुश्किल

गहलोत को करीब से जानने वाले भी कहते है कि उनको समझना बहुत मुश्किल है। वह जब भी कुछ बोलते है तो उसका कोई न कोई मतलब होता है। हालंकि उनके विरोधी अब उम्मीद लगा रहे है कि उनका नंबर आ जायेगा। सचिन पायलट भी ताजा राजनितिक घटनाक्रम के बाद दिल्ली से जयपुर पहुंच गये।

वहां विधानसभा अध्य्क्ष सीपी जोशी से मिलने के साथ ही उन्होंने विधायकों को भी साधना शुरू कर दिया है। विधायकों की संख्या गणित और राजस्थान के राजनीतक समीकरणों को देखते हुए उनके लिये कुछ भी आसान नहीं है। जातीय समीकरण में तो वह फिट बैठते ही नहीं है, लेकिन वहीं राहुल की टीम के युवा नेता जितेंद्र सिंह, हरीश चौधरी और रघु शर्मा भी शायद ही उनके साथ खड़े हों।

क्योंकि ये नेता भी भविष्य में कई उम्मीदें पाले हुए है। तीनो गहलोत के साथ है। मौजूदा प्रदेश अध्य्क्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी उन नेताओं में आते है, जिनकी चर्चा मुख्य्मंत्री पद के लिये हो रही है। राजस्थान की राजनीति में इतने सारे पेंच है कि गांधी परिवार राजस्थान में पंजाब जैसा प्रयोग करने की स्थिति में नही है। उन्हें अपने भावी अध्य्क्ष गहलोत के हिसाब से ही चलना पड़ेगा।

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