इंडिया न्यूज़,दिल्ली(Kerala High Court): केरल हाईकोर्ट में एक मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन की पीठ ने कहा कि एक बच्चे को यह सिखाया जाना चाहिए कि उन्हें किसी लड़की या महिला को उसकी सहमति के बिना नहीं छूना चाहिए । यह सबक उन्हें स्कूलों और परिवारों में दिया जाना चाहिए वहीं, समाज में यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा है कि अच्छे व्यवहार व शिष्टाचार के पाठ को प्राथमिक कक्षा स्तर से ही पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए, साथ ही लड़कों को नहीं का मतलब नहीं समझना चाहिए । इसके अलावा समाज से अदालत ने यह आग्रह किया कि उन्हें स्वार्थी और हकदार होने के बजाय निस्वार्थ और जेंटल व्यक्ति होना सिखाएं।
महिला का सम्मान करना पुराने जमाने की बात नहीं
जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि पुरुषत्व की पुरातन अवधारणा बदल गई है लेकिन इसे और बदलने की जरूरत है साथियों और अन्य सामाजिक प्रभावों द्वारा प्रबलित लड़के बहुत कम उम्र से ही अक्सर कुछ निश्चित सेक्सिस्ट रूढ़ियों के साथ बड़े होते हैं। लड़की / महिला का आदर और सम्मान दिखाना पुराने जमाने की बात नहीं है, इसके विपरीत, हर समय के लिए अच्छा गुण है, सेक्सिज्म स्वीकार्य या “कूल” नहीं है। शक्ति का प्रदर्शन तब होता है जब वह किसी लड़की/महिला का सम्मान करता है। सम्मान अनिवार्यता है, जिसे बहुत कम उम्र में ही विकसित करने की आवश्यकता है। महिला के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, इससे उसके पालन-पोषण और व्यक्तित्व का पता चलता है।
Also Read: रूस से गोवा आ रहे चार्टर्ड विमान को बम से उड़ाने की धमकी, उज्बेकिस्तान डायवर्ट की गई फ्लाइट