India News (इंडिया न्यूज), Uddhav Thackeray, Politics: ये राजनीति है यहां कब क्या हो जाए इसका अंदाजा बड़े-बड़े दिग्गज नहीं लगा पातें। किसकी सरकार कब बन जाएगी और कब गिर जाएगी ये कोई नहीं जानता।महाराष्ट्र की राजनीति और शिवसेना में रीढ़ की हड्डी माने जानें वाले उद्धव ठाकरे की राजनीति कटघड़े में है। सावल उठ रहे हैं कि  शिवसेना का पास जब 105 सीटें थीं और सत्ता में भी थी, तब उनकी ही पार्टी ने उन्हें क्यों धक्का मार दिया। इतना ही नहीं उद्धव सरकार जब धरासाई हुई थी तो उसकी वजह भी शिवसेना को ही माना गया है। इसके बाद भी तत्कालीन सीएम रहे उद्धव ठाकरे अपनी जिद पर अड़े रहे। उतना ही नहीं शिवसेना के एक बड़े धड़े के विरोध में अडिग बने रहे। रिजल्ट साफ था कि कांग्रेस और एनसीपी भी उनकी कुर्सी को बचाने में नाकाम रहेगी।

उद्धव ठाकरे कहां चूके

शिवसेना के टुकड़ों को एक जुट करने में उद्धव ठाकरे नाकाम रहे। लेकिन इसका सारा ठेकड़ा अब वो बीजेपी पर मढ़ रहे हैं। उद्धव की मानें तो भाजपा ने उन्हें भुलावे में रखा और धोखा दिया है। उद्धव ठाकरे के इस बयान के कई मायने हो सकते हैं। जिसका सीधा अर्थ अगर समझे तो इशारा साफ है। उनके अनुसार बीजेपी शिंदे का साथ नहीं बल्कि उद्धव ठाकरे का साथ देने वाला था। इससे वो सीएम बने रहते। लेकिन ये राजनीति है  उनकी (उद्धव ठाकरे) अपेक्षा उल्टी पड़ गई।

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शिवसेना जब दो धड़ों में बटी

जानकारी हो कि जब शिवसेना जब दो हिस्सों में बंटी थी तो बीजेपी शिंदे गुट के साथ खड़ा था। जिसकी वजह से फिर से बीजेपी, शिंदे गुट की सरकार ने शपथ ली। इससे एक बात और साफ हो गई कि महाराष्ट्र में उस वक्त कोई भी दल हो, सबको यह संदेश मिल गया था कि बिना बीजेपी के समर्थन के सिर्फ सिर्फ सीएम ही नहीं कोई दल उस वक्त सरकार तक नहीं बना सकता था।

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