Ukraine will do Damage If it does not give up its Stubbornness

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Ukraine will Suffer if the Hut does not Leave: रूस और यूक्रेन का विवाद अब एक ऐसे मोड़ पर आ चुका है जहां से रूस पीछे नहीं हठ सकता है। वहीं यदि यूक्रेन ने अपना हट नहीं छोड़ा तो उसे अपना ही नुकसान कर लेगा। रूस को भले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (unsc ) से बार-बार चेतावनी दी जा रही है। इसके बाद भी रूस को न के ही बराबर नुकसान नहीं पहुंचेगा। रूस वैसे भी पहले से ही कई तरह के अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर यहां तक पहुंचा है। ऐसे में उस पर और अधिक प्रतिबंधों का असर भी न के ही बराबर होगा।

वैश्विक बाजार पर आएगी भारी गिरावट

रूस पर प्रतिबंधों की मार भी की गई तो भी वो यूरोप के लिए ही नुकसानदेह साबित होगी। वहीं दूसरी तरफ इस विवाद और दोनों तरफ से हो रही गोलीबारी की वजह से वैश्विक बाजार (global market ) पहले ही गिरावट की मार झेल रहा है। ऐसे में नुकसान दोनों और से ही कुछ कम कुछ ज्यादा होगा। वहीं दूसरी तरफ नाटो सेना के दम पर रूस से टक्कर लेने की बात सोचने वाला यूक्रेन फिलहाल ऐसा कह जरूर रहा है लेकिन वह होने वाले नुकसान से बखूबी वाकिफ है।

बड़े मुश्किल दौर में पहुंचा रूस-यूक्रेन का संघर्ष Ukraine will do Damage If it does not give up its Stubbornness

रूस के लुहांस्क और डोनेस्टक को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता की मंशा पर जवाहर लाल नेहरू के प्रोफेसर एचएस भास्कर का मानना है कि नाटो में 30 देशों की सेना के जवान शामिल हैं। यूरोप में कई जगहों पर ये सेना तैनात है। इसके बावजूद यूक्रेन के मामले में सभी यूरोपीय देशों के अपने हित रूस से जुड़े हैं। ऐसे में वो भी नहीं चाहते हैं कि रूस के खिलाफ नाटो के तहत हथियार उठाकर वो अपने हितों को नुकसान पहुंचाएं। वहीं एक सच्चाई ये भी है कि यूक्रेन खुद इस आग में जलने का इच्छुक नहीं है। प्रोफेसर भास्कर ने बताया कि इस विवाद का हल केवल तब ही निकल सकता है जब यूक्रेन इस बात पर राजी हो जाए कि वो नाटो की सदस्यता नहीं लेगा। अगर वह इस बात पर वह राजी हो जाता है तो न सिर्फ डोनबास उसके साथ बना रहेगा बल्कि दूसरी समस्या भी सामने नहीं आएगी।

फ्रांस, जर्मनी और इटली शांतिवार्ता में जुटे Ukraine will do Damage If it does not give up its Stubbornness

यूएनएसी की बैठक के बाद अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंधों का एलान कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ रूस के साथ लगातार फ्रांस, जर्मनी और इटली संपर्क बनाए हुए हैं। यूरोप की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं लगातार इस ओर प्रयासरत है कि विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाए। भारत भी यही बात वैश्विक मंच अपनी बात रख चुका है।

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