इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

Union Govt Told Highcourt केंद्र सरकार ने कहा है कि विभिन्न पर्सनल लॉ देश की एकता का अपमान हैं और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से ही भारत का एकीकरण संभव है। यूसीसी को लागू किए जाने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर शनिवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अपने जवाब में सरकार ने वकील अजय दिग्पॉल के जरिए दाखिल हलफनामे में यह बात कही। केंद्र ने इस दौरान कहा कि विभिन्न धर्मों और संप्रदायों से संबंधित नागरिकों का विवाह और संपत्ति संबंधी अलग-अलग कानूनों का पालन करना देश की एकता का अपमान है। केंद्र ने यह भी कहा कि वह विधि आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद संहिता बनाने के मामले पर हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करके इसकी जांच करेगा।

विभिन्न पर्सनल लॉ के प्रावधानों के गहन अध्ययन की जरूरत (Union Govt Told Highcourt)

केंद्र सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि विभिन्न समुदायों के अलग-अलग पर्सनल लॉ के प्रावधानों का गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है। इस मामले के महत्व व संवेदनशीलता के मद्देनजर केंद्र ने समान नागरिक संहिता संबंधी विभिन्न मामलों की समीक्षा करने और फिर सिफारिश करने का भारत के विधि आयोग से अनुरोध किया था। केंद्र ने कहा कि यह याचिका विचारणीय नहीं है, क्योंकि यूसीसी बनाए जाने का काम नीतिगत मामला है, जिस पर लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधि फैसला करते हैं और इस मामले में कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता।

यूसीसी की तत्काल आवश्यकता (Union Govt Told Highcourt)

अदालत ने मई 2019 में भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी थी। इस याचिका में लैंगिक न्याय एवं समानता, महिलाओं की गरिमा और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए एक न्यायिक आयोग के गठन का अनुरोध किया गया है। चार अन्य याचिकाओं में भी दावा किया गया है कि भारत को समान नागरिक संहिता की तत्काल आवश्यकता है।

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