इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
UNSC On Russia Ukraine War भारत ने यूक्रेन मामले में एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में रूस के प्रस्ताव से दूरी बनाकर अपना तटस्थ रुख कायम रखा है। रूस ने यूक्रेन में मानवीय संकट पर यूएनएससी में प्रस्ताव रखा था जिसे सुरक्षा परिषद अस्वीकार कर दिया, क्योंकि इसे केवल रूस व चीन का ही समर्थन मिला था। यूएनएससी (UNSC) के 12 अन्य सदस्यों सहित भारत ने रूस के प्रस्ताव पर खुद को अलग रखा।
पहले के मौकों पर भी भारत ने यूक्रेन पर रूस के प्रस्तावों पर सुरक्षा परिषद में हुए मतदान से दूरी बनाई थी। ब्रिटेन (Britain) के राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने कहा, उनका देश यूएनएससी (UNSC) में रूस के ऐसे किसी प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग नहीं करेगा, जो यह नहीं मानता कि वह यूक्रेन में मानवीय बर्बादी का एकमात्र कारण नहीं है।
रूस द्वारा सुरक्षा परिषद में दिए गए प्रस्ताव में कहा गया था कि यूक्रेन में बच्चे, आम नागरिक, मानवीय कर्मचारियों के साथ ही महिलाओं समेत पूरी तरह से सुरक्षित हैं। रूस की तरफ से प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि लोगों को यूक्रेन से सुरक्षित व तेजी से निकालने के मकसद वार्ता के लिए सीजफायर का आह्वान किया गया था।
रूस के प्रस्ताव को संयुक्त राज्य अमेरिका (America) ने दुस्साहस करार दिया है। यूएन में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका खुद को इस प्रस्ताव से दूर रखना चाहता है, क्योंकि यूक्रेन में बिगड़ते मानवीय हालात के लिए रूस जिम्मेदार है।
रूस लाखों लोगों की जिंदगी व ड्रीम्स के बारे में बिना सोचे समझे यूक्रेन पर युद्ध जारी रखे हुए है जिससे यूक्रेन बर्बाद हो गया है। रूस को अगर यूक्रेन की चिंता है तो वह जंग को तत्काल प्रभाव रोके। रूस आक्रमणकारी व हमलावर है। वह यूक्रेन के लोगों के खिलाफ क्रूरता में जुटा है। ऐसे में ऐसा प्रस्ताव पारित करवाकर खुद को दोषी बनाने से बचाना चाहता है।
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केवल चीन ने रूस के प्रस्ताव का सुरक्षा परिषद में समर्थन किया। पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना के स्थायी प्रतिनिधि झांग जून ने कहा कि सुरक्षा परिषद को यूक्रेन में मानवीय स्थिति में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने बीजिंग की छह-सूत्रीय पहल की तरफ इशारा कर सुरक्षा परिषद के सदस्यों से कहा कि रूस के पक्ष में वोट यूक्रेन में मानवीय स्थिति को प्राथमिकता देने के मकसद से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का आह्वान था।
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