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Utpal Kaul on Kashmir files कौल बोले संघ की मदद से जिंदा हैं कई कश्मीरी हिंदू

Utpal Kaul on Kashmir files कौल बोले संघ की मदद से जिंदा हैं कई कश्मीरी हिंदू

इंडिया न्‍यूज नई दिल्ली

utpal Kaul on Kashmir files: द कश्‍मीर फाइल्‍स में जो भी दिखाया गया है, वह वास्‍तव में सच है। यह कहना है ग्लोबल कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandits) डायस्पोरा (Pandit diaspora organisation) केपीडी (Global Kashmiri Pandit Diaspora (GKPD)) के अंतर्राष्ट्रीय समन्वयक उत्पल कौल का। उन्‍होंने कहा कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म में जो दिखाया गया है वह सच है, यह घाटी में जो कुछ भी हुआ, उसका केवल 10 प्रतिशत है, और भी बहुत कुछ है।”

The Kashmir Files

कौल ने तत्कालीन सरकार पर उठाए सवाल

कौल (Utpal Kaul, the International Coordinator for GKPD) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) (Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) द्वारा समुदाय के सदस्यों को घाटी छोड़ने के लिए प्रदान की गई सहायता का उल्लेख किया। कौल ने जम्मू के आर्य समाज (Arya Samaj of Jammu), डोगरा समाज (Dogra Samaj) और सिखों की सहायता का भी उल्लेख किया। कौल के मुताबिक, दिसंबर 1990 में जब पलायन शुरू हुआ था तब तत्कालीन सरकार कहीं नजर नहीं आई थी।

The Kashmir Files Analysis

Utpal Kaul on RSS: कौल ने कहा कि सामूहिक हत्याएं 19 जनवरी को अपने चरम पर पहुंच गईं, जब अपमानजनक नारे लगाए गए, आज भी ये पूरी तरह से अक्षम्य हैं, यह सब इतिहास में पहली बार हो रहा था।

आरएसएस ने मौके पर पीडितों की मदद की

Role of RSS during exodus of Kashmiri Pandits: कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) की लाचारी को याद करते हुए जीकेपीडी के सदस्य ने कहा कि हमें अपनी जान और अपना सम्मान बचाने के लिए भागना पड़ा। हम जम्मू की सड़कों पर विस्थापित हो गए और हमें नहीं पता था कि क्या करना है। आरएसएस ने हजारों हिंदुओं को गीता भवन में शरण दी थी। 700 से अधिक स्थानों पर काम कर रहे संघ ने हमें 1.5 करोड़ रुपये की सहायता भेजी।

कश्‍मीरी पंडितों की पीडा पर आधारित है द कश्‍मीर फाइल्‍स

विवेक-अग्निहोत्री (Vivek-Agnihotri directed) निर्देशित ‘कश्मीर फाइल्स’ (Kashmir Files) जो 11 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी, जिसमें अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, दर्शन कुमार (Anupam Kher, Mithun Chakraborty, Pallavi Joshi, Darshan Kumaar) और अन्य शामिल थे। यह 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों की हत्याओं के इर्द-गिर्द घूमती है। देश के कई राज्यों में कर मुक्त कर दी गई यह फिल्म भाजपा और विपक्षी दलों के बीच हुई घटनाओं के चित्रण को लेकर विवादों में घिर गई है।

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Amit Gupta

Managing Editor @aajsamaaj , @ITVNetworkin | Author of 6 Books, Play and Novel| Workalcholic | Hate Hypocrisy | RTs aren't Endorsements

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