Uttar Pradesh Coal Crisis
इंडिया न्यूज, लखनऊ:
कोरोना काल के कारण पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गई थी। अब एक और नए संकट ने सभी की सांसें ऊपर नीचे कर दी हैं। ये है कोयला संकट। इस कारण पूरे विश्व में हाहाकार मचा हुआ है। बता दें कि कोराना काल के कारण कोयला संकट बना हुआ है। कोयले की ढुलाई न होने के कारण और बारिश के कारण कोयला खदानों में पानी भरे होने के कारण ये संकट भारत में आया है। वहीं उत्तरप्रदेश में भी कोयला संकट गहरा रहा है।
What is the reason for the shortage of coal? कोयले की कमी की वजह क्या है?
देश भर में पिछले कुछ समय से कोयले की सप्लाई में कमी के चलते ब्लैक आउट का खतरा बना हुआ है। जरूरत के मुताबिक पावर प्लांट को कोयला नहीं मिल रहा है। ज्यादात्तर थर्मल प्लांट आधे से भी कम क्षमता पर कार्य कर रहे हैं। कई राज्यों ने मौजूदा हालात को लेकर चिंता जताई है। देश में कोयले की किल्लत से उत्तर प्रदेश भी अछूता नहीं है। उत्तर प्रदेश में कोयले की कमी से पैदा हुआ बिजली संकट बढ़ता ही जा रहा है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक में जबरदस्त बिजली कटौती हो रही है।
Coal Shortage in India in Hindi भारत में कोयला संकट क्यों है?
प्रदेश में बिजली व्यवस्था का दारोमदार उत्पादन निगम के चार बिजलीघरों के अलावा निजी क्षेत्र के आठ और एनटीपीसी के डेढ़ दर्जन बिजलीघरों पर है। कोयले की कमी से इन पावर प्लांटों की 2,600 मेगावॉट की आठ यूनिटें ठप हैं, जबकि एक दर्जन से ज्यादा यूनिटों में काम प्रभावित होने से बिजली उत्पादन में कुल 6,000 मेगावॉट की कमी आई है।
कोयले की मौजूदा स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए अजय प्रताप सिंह (एक्सईएन, अनपरा परिजयोजना) ने कहा कि यदि कोयले की सप्लाई सुचारू तरीके से नहीं की जाती तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी ज्यादा खराब हो सकती है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत निगम की सबसे बड़ी अनपरा परियोजना में कोयले का स्टॉक प्रतिदिन 10 हजार टन कम हो रहा है। अजय प्रताप सिंह ने बताया कि अगर कोयले की आपूर्ति बढ़ाने की दिशा में तुरंत पहल नहीं की गई तो स्थिति और खराब हो जाएगी।
कोयले की कमी के चलते ज्यादा थर्मल प्लांट की यूनिट लगातार बंद हो रहीं हैं केंद्र सरकार भी मानती है कि देश में कोयले की जबरदस्त किल्लत चल रही है। इसी वजय से सोमवार को जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में बैठक बुलाई थी। सरकार ने बयान जारी कर कोयला किल्लत की कुल चार वजहें गिनाई हैं।
1. अर्थव्यवस्था में सुधार के चलते बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि होना।
2. कोयला खदान क्षेत्रों में भारी बारिश होने के चलते खानों में पानी का भराव होना।
3. आयातित कोयले की कीमत में वृद्धि होना।
4. महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बिजली कंपनियों पर भारी बकाया। जिसके चलते कोयले की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हुई।
केंद्र सरकार का कहना है कि कोयला स्टॉक की स्थिति की निगरानी लगातार हो रही है। मंत्रालय और कोल इंडिया लिमिटेड ने आश्वासन दिया है कि वे अगले कुछ दिन में बिजली क्षेत्र को 1.6 मिलियन टन प्रति दिन भेजने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। उसके बाद प्रति दिन 1.7 मीट्रिक टन तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं।
भारत में कोयला उत्पादन में 80 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली कोल इंडिया का कहना है कि डिमांड और सप्लाई में आए अंतर की वजह से ये स्थिति बनी है। कोल इंडिया का क्या कहना है कि ग्लोबल कोल प्राइज में हो रहे इजाफे की वजह से घरेलू कोयला उत्पादन पर निर्भर होना पड़ा है।
भारत में वर्तमान में 233 गीगावाट कोयला संयंत्र प्रचालन में हैं। वहीं 34.4 गीगावाट का और निर्माण कार्य चल रहा है। इस साल की शुरूआत में, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने भी चेतावनी दी थी कि मोदी की कोयला विस्तार योजना भारत की उभरती ऊर्जा जरूरतों और पर्यावरणीय प्राथमिकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करना मुश्किल है।
ऊर्जा आपूर्ति के साथ कुछ समय के लिए विवश रहने की संभावना है क्योंकि उच्च कीमतों के जवाब में उत्पादकों को अपने उत्पादन को बढ़ावा देने में समय लगेगा, यह संकट के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।
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