India News (इंडिया न्यूज़), Uttarakhand HC, देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में दिए अपने एक फैसले में आईपीसी की धारा 376 पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि बलात्कार को रोकने के लिए लाए गए कानून को महिलाओं की तरफ से हथियार की तरह प्रयोग किया जा रहा है। एक महिला और उसके पुरुष साथी के बीच मतभेद में बलात्कार का कानून लगा दिया जाता है।
न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने एक व्यक्ति के खिलाफ मामले को रद्द करते हुए यह कहा। इस मामले में एक महिला ने शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने का मामला दर्ज करवाया था। कोर्ट ने कहा कि जैसे ही महिला और पुरूष के बीच मतभेद होता है, महिलाओं की तरफ से इस कानून को एक हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह दूसरे पक्ष पर दवाब बनाने के लिए इस कानून का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर महिलाएं इसका दुरुपयोग कर रही है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि शादी का वादा झूठा या नहीं, इसे रिश्ते में आने की शुरुआत में ही जांच लेना चाहिए ना की बाद में। इस मामले में बलात्कार की शिकायत नहीं टिक पाएगी क्योंकि का रिश्ता 15 साल से चल रहा है। आदमी की शादी हो गई यह जानने के बाद में दोनों ने रिश्ता जारी रखा।
दोनों का रिश्ता साल 2005 में शुरू हुआ था। पुरूष की बीच में शादी भी हो गई लेकिन फिर भी दोनों ने रिश्ता जारी रखा। कोर्ट ने कहा कि यह जानने के बाद भी की पुरूष शादीशुदा है महिला ने रिश्ता जारी रखा। इससे साफ जाहिर होता है की महिला की सहमति थी। मामले को मनोज आर्य बनाम उत्तराखंड सरकार के नाम से जाना गया।
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