इंडिया न्यूज़, वाशिंगटन:
अमेरिका में उस समय सनसनी फैल गई जब कोरोना वैक्सीन निर्माता कंपनियों के लिए बर्नी सैंडर्स ने वो शब्द कह दिए जो कि वैक्सीन निर्माता कंपनियों के हल्क से नीचे नहीं उतर रही है। जी हां इसी माह यूएस के एक सीनेटर ने ट्वीट किया है कि ‘ये घृणित है कि पिछले हफ्ते जैसे ही ओमिक्रॉन वैरिएंट के फैलने की खबर सामने आई तो फाइजर और मॉडर्ना के 8 इन्वेस्टर्स ने 75 हजार करोड़ रुपए कमाकर तिजोरियां भर ली। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि बहुत हो गया, इस समय ऐसी फार्मा कंपनियां अपने लालच पर अंकुश लगाएं और वैक्सीन को दुनिया के साथ शेयर करें।
वैक्सीन कंपनियों के लिए बनी सैंडर्स ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि नया वैरिएंट और बनाई गई बूस्टर डोज वैक्सीन पर निर्माता कंपनियों की मनमानी चल रही है। कंपनियां मनमाने दामों पर अपनी वैक्सीन दुनिया को बेच रहे हैं। जबकि उसकी लागत वसूली जा रही कीमत से कई गुना कम है। सैंडर्स ने कहा कि यह समय मानवता बचाने का है। वैक्सीन निर्माता कंपनी फाइजर और मॉडर्ना अपने लालच को छोड़ जरूरतमंद देशों में अपनी दवा की सप्लाई करें। इस समय सभी देशों की सरकारें, डॉक्टर और वैज्ञानिक कोरोना महामारी को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन बड़ी फार्मा कंपनियां नहीं चाहती कि वायरस खत्म हो।
पीपुल्स वैक्सीनेशन अलायंस (पीवीए) के ने जारी किए आंकड़ों में हैरानी जताई है कि इन कंपनियों ने अपने वर्चस्व का इस्तेमाल करते हुए अमीर देशों को वैक्सीन इस लिए दी कि कंपनी को मोटा मुनाफा मिल सके। दूसरी और जरूरतमंछ गरीब देशों की वैक्सीन की मांग को दरकिनार कर दिया गया पीवी ए का मानना है कि बायोएनटेक और फाइजर ने बनाई गई वैक्सीन का महज एक प्रतिशत हिस्सा ही गरीब देशों को दिया है। वहीं मॉडर्ना ने तो इससे भी कम केवल 0.2 फीसदी ही वैक्सीन भेजी है। पीवीएक के अनुसार वैक्सीन की तीन बड़ी कंपनियों बायोएनटेक, मॉडर्ना और फाइजर ने इस साल इतनी वैक्सीन दुनिया को बेच दी हैं कि हर वैक्सीन और हर गुजरते सैकंड पर हजारों डॉलर का मुनाफा कमाया है।
भारत कोरोना वैक्सीन को इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी की लिस्ट बाहर कराना चाहता था, इसीलिए भारत ने अंतर्राष्टÑीय व्यापार संगठन के पास इसे बाहर करने के लिए प्रस्ताव भेजा था। भारत के प्रस्ताव को पास न करने के लिए बड़ी वैक्सीन कंपनियों ने नेताओं की लॉबिंग करते हुए अरबों रुपए उन नेताओं पर लुटा दिए थे। विदेशी अखबार डाउन टु अर्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के इस प्रस्ताव को रोकने के लिए अमेरिकी फार्मा कंपनियों के संगठन फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड मैन्युफैक्चरिंग आॅफ अमेरिका ने नेताओं पर 50 मिलियन डॉलर, यानी करीब 3 हजार 700 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिए थे। इसी वजह से ही दवा कंपनियों का दबदबा बना रहा और भारत का प्रस्ताव नामंजूर कर दिया गया।
Read More : PM calls Meeting on Omicron पंजाब समेत अन्य 4 राज्यों के चुनावों पर भी होगी चर्चा
Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.