India News (इंडिया न्यूज), Jagdeep Dhankhar:उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को महिला पत्रकार वेलफेयर ट्रस्ट के एक कार्यक्रम में संवैधानिक संस्थानों की गरिमा, लोकतंत्र में संवाद की आवश्यकता और मीडिया की जिम्मेदारी पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने अपने खिलाफ लाए गए नोटिस को “जंग लगे चाकू” जैसा बताते हुए उसकी वैधता पर सवाल उठाया।
संवैधानिक संस्थानों को कमजोर करने के प्रयास पर कड़ी चेतावनी
उपराष्ट्रपति ने कहा, “संवैधानिक पदों की गरिमा को प्रतिष्ठा, उच्च आदर्शों और संवैधानिकता से बनाए रखना आवश्यक है। देश विरोधी ताकतें हमारे संस्थानों को ईंट-दर-ईंट कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं।” उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जिक्र करते हुए कहा कि यह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति का अपमान करने जैसा है।
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लोकतंत्र में अभिव्यक्ति और संवाद की अहमियत
उपराष्ट्रपति ने लोकतंत्र में संवाद और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अपरिहार्य बताया। उन्होंने कहा, “अभिव्यक्ति को बाधित या सीमित करना लोकतंत्र के लिए घातक है। संवाद के बिना लोकतांत्रिक मूल्यों को न तो पोषित किया जा सकता है और न ही विकसित किया जा सकता है।”
मीडिया की भूमिका और महिला पत्रकारों की सराहना
उपराष्ट्रपति ने 2023 में पारित महिला आरक्षण विधेयक को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा, “यह विधेयक महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% आरक्षण सुनिश्चित करता है। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए अमृत काल है।”
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आर्थिक प्रगति और मीडिया की जिम्मेदारी
भारत की तीव्र आर्थिक प्रगति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि देश जल्द ही जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। मीडिया से उन्होंने आग्रह किया कि वह सनसनीखेज रिपोर्टिंग से बचते हुए जिम्मेदारी से इस बदलाव को जनता तक पहुंचाए।
कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने महिला पत्रकारों के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के लिए एक मजबूत कानूनी निकाय की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने यह संदेश दिया कि चुनौतियों को अवसरों में बदलने के लिए साहस और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।
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