India News (इंडिया न्यूज), Vikram Batra Birth Anniversary: ‘या तो तिरंगा लहराकर लौटूंगा, या तिरंगे में लिपटा हुआ’ ये देश के वीर सपूत कैप्टन विक्रम बत्रा के वो शब्द थे। जो आज भी भारतीय युवाओं को प्रेरित करता है। उनका जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर जिले के घुग्गर में हुआ था। साल 1996 में विक्रम ने भारतीय सैन्य अकादमी में प्रवेश लिया और फिर सेना में भर्ती हो गए। कारगिल युद्ध के दौरान शहीद होने से पहले विक्रम बत्रा ने कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। दरअसल, विक्रम बत्रा की हिम्मत और कद-काठी को देखते हुए उन्हें शेरशाह कोड नाम दिया गया था। विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा बताते हैं कि आज भी पाकिस्तान में विक्रम बत्रा को शेरशाह के नाम से याद किया जाता है।
बता दें कि, विक्रम बत्रा 6 दिसंबर 1997 को लेफ्टिनेंट के तौर पर 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में शामिल हुए थे। 1 जून 1999 को उनकी यूनिट को कारगिल युद्ध में भेजा गया। वहीं हंप और राकी नाब जगहों पर जीत हासिल करने के बाद विक्रम को उसी समय कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद कैप्टन विक्रम बत्रा को श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे महत्वपूर्ण 5140 चोटी को पाकिस्तानी सेना से आजाद कराने की जिम्मेदारी भी दी गई। बेहद दुर्गम इलाका होने के बावजूद विक्रम बत्रा ने अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 को सुबह 3:30 बजे इस चोटी पर कब्जा कर लिया। चोटी 5140 पर खड़े होकर उन्होंने कहा ‘ये दिल मांगे मोर’।
Bangladesh में छा जाएगा अंधेरा, भारत के एक इशारे पर लुट जाएंगे यूनुस, भूल गए थे अरबों का कर्ज?
दरअसल, चोटी नंबर 5140 के बाद सेना ने चोटी नंबर 4875 पर भी कब्जा करने का अभियान शुरू किया। इसकी बागडोर भी कैप्टन विक्रम को सौंपी गई। अपनी जान की परवाह किए बिना कैप्टन बत्रा ने लेफ्टिनेंट अनुज नैयर के साथ मिलकर 8 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। मिशन लगभग पूरा हो चुका था लेकिन तभी उनके जूनियर ऑफिसर लेफ्टिनेंट नवीन के पास एक धमाका हुआ। नवीन के दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गए। कैप्टन बत्रा नवीन को बचाने के लिए उसे पीछे खींचने लगे, तभी उनके सीने में गोली लग गई और भारत का यह शेर 7 जुलाई 1999 को शहीद हो गया। विक्रम बत्रा को उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
‘हमारी संस्कृति खतरे में क्यों…’, असम सीएम हिमंत सरमा ने नमाज और मस्जिद पर उठाए गंभीर सवाल
कैप्टन विक्रम बत्रा की गर्लफ्रेंड का नाम डिंपल है। कारगिल युद्ध से लौटने के बाद वह उनसे शादी करने वाले थे। लेकिन जब वह कारगिल से लौटे तो उन्हें तिरंगे में लपेटा गया था। यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। डिंपल ने जीवन भर शादी न करने का फैसला किया। विक्रम और डिंपल की पहली मुलाकात 1995 में चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी में हुई थी। 4 साल के उस खूबसूरत रिश्ते में दोनों ने एक-दूसरे के साथ बहुत कम समय बिताया। आज भी जब डिंपल उस रिश्ते के एहसास को शब्दों में बयां करने की कोशिश करती हैं तो उनकी आंखें भर आती हैं। एक इंटरव्यू के दौरान डिंपल ने बताया था कि एक बार जब उन्होंने विक्रम से शादी के लिए पूछा तो विक्रम ने चुपचाप ब्लेड से अपना अंगूठा काटकर उनकी मांग भर दी थी।
Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.