इंडिया न्यूज, Ways to Prevent Monkeypox: दुनियाभर में करीब 75 देशों में फैले मंकीपॉक्स वायरस का भारत में पहला केस 14 जुलाई 2022 को केरल के कोल्लम जिले से सामने आया था। बताया जाता है कि मरीज हाल ही में यूएआई से केरल लौटा था। हालांकि मंकीपॉक्स के लक्षण गंभीर नहीं, बल्कि हल्के होते हैं। यह बहुत कम मामलों में घातक होता है। अब सवाल ये उठता है कि मंकीपॉक्स बीमारी क्या है। किन कारणों से ये बीमारी फैलती है, इसके लक्षण क्या हैं। अब तक भारत में कितने मामले सामने आ चुके हैं।
क्या है मंकीपॉक्स संक्रमण?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) मुताबिक साल 1970 में पहली बार इंसानों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे। बताया जाता है कि मंकीपॉक्स के शुरूआती मामले 1958 में सामने आए। जब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में यह बीमारी फैली। इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला केस 1970 में कान्गो (अफ्रीका) में दर्ज हुआ था।
संक्रामक रोग विशेषज्ञ अनुसार यह बीमारी मंकीपॉक्स नाम के वायरस से होती है। मंकीपॉक्स, आॅर्थोपॉक्स वायरस परिवार का हिस्सा है। इसमें भी चेचक की तरह शरीर पर दाने हो जाते हैं। दरअसल चेचक को फैलाने वाला वैरियोला वायरस भी आॅर्थोपॉक्स फैमिली का ही हिस्सा होता है।
कैसे फैलती है ये बीमारी?
मंकीपॉक्स वायरस कई तरीकों से फैल सकता है। डब्ल्यूएचओ अनुसार एक इंसान से दूसरे में संक्रमण काफी कम है। फिर भी संक्रमित व्यक्ति के छींकने-खांसने पर ड्रॉपलेट्स में वायरस मौजूद रहता है जो कोविड की तरह ही फैल सकता है। संक्रमित जानवरों के खून, शारीरिक तरल पदार्थ या स्किन के संपर्क में आने के कारण वायरस इंसानों में फैलता है।
लक्षण क्या हैं?
मंकीपॉक्स वायरस संक्रमण होने के बाद लक्षण दिखने में 6 से 13 दिन लग सकते हैं। संक्रमितों को बुखार, तेज सिरदर्द, पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी महसूस हो सकती है। लिम्फ नोड्स की सूजन इसका सबसे आम लक्षण माना जाता है। बीमार शख्स के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े-बड़े दाने हो सकते हैं। अगर संक्रमण गंभीर हो तो ये दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं।
इन देशों में मंकीपॉक्स के केस ज्यादा मिले?
यूके, स्पेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, पुर्तगाल, कनाडा, नीदरलैंड, इटली और बेल्जियम में मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामले देखने को मिले हैं।
देश के लिए डब्ल्यूएचओ के वर्ल्ड हेल्थ इमरजेंसी का मतलब क्या?
डब्ल्यूएचओ जैसे ही किसी बीमारी को वर्ल्ड हेल्थ इमरजेंसी घोषित करती है, तो इसका मतलब होता है कि वह बीमारी तेजी से दुनिया भर में फैल रही है। ऐसे में भारत में इसकी दस्तक चिंताजनक है। अब भारत या दूसरे देशों के सरकार को इस बीमारी को रोकने के लिए 3 स्टेप में फैसले लेने होंगे।
पहला, बीमारी को फैलने से रोकने के लिए प्रोटोकॉल और कड़ी गाइडलाइ बनाना। दूसरा, लोगों को जागरूक करते हुए बनाई गई गाइडलाइन को कड़ाई से लागू करना। तीसरा, संक्रमित मरीजों की पहचान कर उनका इलाज करना।
क्या ये बीमारी समलैंगिक पुरुष सेक्स से फैलता है?
हाल ही में न्यू इंग्लैंड जर्नल आॅफ मेडिसिन की रिपोर्ट में सामने आया है कि मंकीपॉक्स संक्रमण वाले करीब 98 फीसदी मरीज समलैंगिक पुरुष या बाईसेक्सुअल पुरुष हैं। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि क्या मंकीपॉक्स एक यौन रोग है। इस मामले में एक्सपर्ट्स डब्ल्यूएचओ में साउथ ईस्ट एशिया की रीजनल डायरेक्टर डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह का कहना है कि ‘मंकीपॉक्स के मामले उन पुरुषों में ज्यादा मिले हैं जो पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाते हैं।’ उन्होंने कहा कि इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में हम लोगों को संवेदनशील और भेदभाव से मुक्त रहना चाहिए।
वहीं संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया का कहना है कि मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामले पुरुषों में मिले हैं, लेकिन अभी इसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज नहीं कह सकते हैं। इस बात पर रिसर्च चल रही है कि क्या ये एक यौन रोग है। यौन संबंध बनाते समय दो लोग करीब आते हैं, ऐसे में कॉन्टैक्ट डिजीज होने की वजह से भी यह बीमारी फैल सकती है।
क्या कोरोना की तुलता में ज्यादा घातक है?
डॉक्टर कोरोना की तुलना में मंकीपॉक्स को कम खतरनाक मानते हैं। इसके पीछे डॉक्टरों के दो तर्क हैं। पहला मंकीपॉक्स कोरोना से कम खतरनाक है, क्योंकि कोरोना में राइबोन्यूक्लिक एसिड यानी वायरस होते हैं। यह अपने रूप को तेजी से बदल सकता है। इसी वजह से यह तेजी से फैलता है। वहीं, मंकीपॉक्स में डीआॅक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड वायरस होता है। डीएनए एक स्टेबल वायरस है, जो तेजी से रूप नहीं बदल सकता है। इसी वजह से इसके फैलने की रफ्तार कम है।
दूसरा बात ये है कि कोरोना वायरस लक्षण नहीं होने पर भी दूसरे को संक्रमित करता है। ऐसे में तेजी से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ते हैं। वहीं, मंकीपॉक्स में लक्षण सामने आने पर दूसरे व्यक्ति को संक्रमण फैलता है। इसी वजह से बेहतर सर्विलांस के जरिए इस बीमारी को आसानी से फैलने से रोका जा सकता है।
भारत में इन जगहों पर मिले केस?
- पहला, केरल के कोल्लम का रहने वाला एक 35 साल का शख्स 12 जुलाई को यूएई की यात्रा कर लौटा था। इसके बाद वह मंकीपॉक्स पॉजिटिव पाया गया।
- दूसरा, केरल के कन्नूर शहर में 31 साल का एक शख्स 13 जुलाई को दुबई से लौटा था। बाद में मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया।
- तीसरा, केरल के ही मल्लपुरम में एक 35 साल का शख्स यूनाइटेड अरब अमीरात से 6 जुलाई को लौटा था, बाद में उसमें भी मंकीपॉक्स वायरस मिला।
- चौथा, दिल्ली में बिना विदेश गए 34 साल का एक मरीज पॉजिटिव मिला है। हालांकि, ये शख्स मनाली में एक पार्टी में शामिल होकर कुछ दिनों पहले लौटा था। वहीं दिल्ली में बिना विदेश यात्रा के केस मिलने के बाद लोगों में खौफ बढ़ गया है।
बचाव के तरीके?
मंकीपॉक्स मरीज के छुआ हुए कपड़े, बिस्तर और बर्तन जैसी चीजों से दूर रहें। मरीज ये संक्रमित जानवर के संपर्क में आने पर अच्छे से हाथ धोएं। मरीज को दूसरों से आइसोलेटेड रखें। मरीज की देखभाल करते समय पीपीटी किट जरूर पहनें।
वहीं डब्ल्यूएचओ मुताबिक वर्तमान में मंकीपॉक्स का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। चेचक के टीकों (वैक्सीनिया वायरस से बने) को मंकीपॉक्स के खिलाफ सुरक्षात्मक माना जाता है।