India News (इंडिया न्यूज) What is ADITYA L-1: भारतीय अंतरिक्ष रिसर्च संगठन (इसरो) के विक्रम लैंडर के सफलतापूर्वक चांद की सतह पर लैंडिग करने के बाद इसरो की अभी बहुत धमाकेदार योजनाए बाकी हैं, जिसमे से आदित्य एल 1 भी एक है। 23 अगस्त, 2023, गुरुवार को भारत ने चांद पर कदम रख दिया है। इसी के साथ इसरो एक अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने वाला है, जो सूर्य, इसकी जलवायु, सौर धधक, सौर तूफान, कोरोनल मास इजेक्शन आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करेगा।
क्या है आदित्य एल-1 मिशन ?
भारत का पहला सूर्य का अध्ययन करने वाला अंतरिक्ष मिशन का नाम आदित्य एल-1 है। आदित्य एल-1 सूर्य का 5 साल तक अध्ययन करेगा। इसरो की मानें तो इस यान में 7 तरह के वैज्ञानिक पेलोड्स होंगे। इसी के वजह से इसरो को सूर्य के अलग-अलग क्षेत्र का अध्ययन करने में सहयता मिलेगी।
आदित्य एल-1 स्थापित कहां होगा ?
इस यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच हालो ऑर्बिट और लॉ अर्थ ऑर्बिट के बीच स्थापित किया जाएगा। क्योकि वैज्ञानिकों के अनुसार इस जगह को बिना बाधा के अध्ययन किया जा सकता है। यह स्थान पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है। इसरो के मुताबिक इससे सूर्य की हलचल को समझने में ज्यादा आसानी रहेगी, क्योंकि इसकी वजह से अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले प्रभाव की रीयल टाइम जानकारी जुटाई जा सकेगी।
किस जानकारी पर होगा आदित्य एल 1 मिशन का ध्यान
आदित्य एल 1 में जो 7 पेलोड्स लगे है, यह सूर्य के फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और सबसे बाहरी परत ‘कोरोना’ का अध्ययन करेगी। इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक, पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टरों का प्रयोग किया जाएगा। इसके आलावा चार पेलोड्स सूर्य की गतिविधियों पर पैनी नजर रखेंगे। बाकी तीन सूर्य के आसपास के मौजूद पार्टिकल और उनके बारे में जानकारियां जुटाएंगे।
क्या सूर्य से जुड़े रहस्य का हल मिलेगा?
इसरो को आशा है कि आदित्य एल 1 पर जो पेलोड्स लगे है उससे वे कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, सौर धधक से पहले और बाद की गतिविधियों, अंतरिक्ष के मौसम की गतिशीलता के बारे में जानकारियां प्राप्त कर सकेंगे।
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