India News (इंडिया न्यूज़), Chhattisgarh Liquor Scam, रायपुर/रांची: छत्तीसगढ़ के शराब घोटला को लेकर आज ईडी की कई टीमों ने राज्य में छापा मारा है। सीएम भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा, ओएसडी सहित कई कर्मचारियों के घर ईडी की टीम पहुंची। इसी मामले में आज झारखंड में 32 ठिकानों पर ईडी की तऱफ से रेड की गई।
झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव, उनके बेटे बेटे रोहित उरांव, नेक्सजेन के मालिक विनय सिंह के घर ईडी पहुंची। वही शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी से संबंधित कई ठिकानों पर छापेमारी चल रही है। रामेश्ववर उरांव के घर के बाहर काफी गर्म महौल बना हुआ है। झारखंड के गिरिडीह में पूर्व भाजपा विधायक निर्भय शाहाबादी के आवास पर छापा पड़ा।
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले में आरोप है की वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, राजनेताओं और कुछ व्यक्तियों के एक आपराधिक सिंडिकेट ने लगभग 2,161 करोड़ रुपये बनाए और अपने जेब में डाले जो सरकारी खजाने में जाना चाहिए था। ईडी मामले की जांच कर रही है।
एजेंसी के मुताबिक, उत्पाद शुल्क विभाग में कथित भ्रष्टाचार 2019 में शुरू हुआ और 2022 तक जारी रहा। आरोप लगाया गया कि सिंडिकेट का नेतृत्व रायपुर के मेयर ऐजाज ढेबर और एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने किया था। छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) को राज्य में शराब की बिक्री और गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए फरवरी 2017 में बनाया गया था, लेकिन सिंडिकेट ने कथित तौर पर एक समानांतर उत्पाद शुल्क विभाग लागू किया।
ईडी के अनुसार, सिंडिकेट ने कथित तौर पर सीएसएमसीएल का नेतृत्व करने के लिए अरुणपति त्रिपाठी को चुना और मई में कथित तौर पर ढेबर के कहने पर उन्हें इसका प्रबंध निदेशक बनाया गया। आरोप है की सीएसएमसीएल ने कथित तौर पर केवल देशी शराब की प्रति पेटी 75 रुपये का कमीशन देने वालों से शराब खरीदी।
एजेंसी के अनुसार, इस प्रणाली के लिए नकदी संग्रह और लोगों की आपूर्ति ढेबर के सहयोगी विकास अग्रवाल द्वारा की गई थी, जबकि अरविंद सिंह ने इसके रसद विभाग का प्रबंधन किया था।
पहले वर्ष में, हर महीने 800 पेटी देशी शराब ले जाने वाले 200 ट्रक बेचे गए और 2022-23 में यह मात्रा बढ़कर 400 ट्रक हो गई। ढेबर और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने अवैध रूप से अर्जित धन का 15% हिस्सा रखा और शेष 75% राज्य के सर्वोच्च राजनीतिक अधिकारियों के निर्देशों के अनुसार राजनेताओं के पास चला गया।
ढेबर के तीन सहयोगियों को भी विदेशी शराब बेचने का लाइसेंस मिला और बदले में उन्हें कथित तौर पर कमीशन दिया गया। एजेंसी ने कहा कि कुल मिलाकर, इस सिंडिकेट द्वारा अवैध रूप से 2,161 करोड़ रुपये कमाए गए, जो सरकारी खजाने में जाना चाहिए था।
ईडी के अनुसार, अपराध की आय को कथित तौर पर बैंक फंड में बदल दिया गया और चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद से असुरक्षित लोन के रूप में दिखाया गया और आगे बेनामी संपत्ति खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया। शिकायत में कहा गया है कि इसका इस्तेमाल एक होटल के नवीनीकरण और स्टील प्लांट के अधिग्रहण के लिए भी किया गया था। ईडी ने अब तक प्रोविजनल तौर पर 124 करोड़ रुपये जब्त किए हैं।
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