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Exit Poll: क्या है एग्जिट पोल और इसे कैसे कराती है एजेंसियां? यहां जानें नियम तोड़ने पर कितनी मिलेगी सजा

India News (इंडिया न्यूज), Exit Poll: लोकसभा चुनाव के सातवें चरण के लिए मतदान 1 जून को होगा। इसके बाद सभी की निगाहें नतीजों पर होंगी। हालांकि, इससे पहले 1 जून की शाम को एग्जिट पोल आने शुरू हो जाएंगे। इन पोल के जरिए यह अनुमान लगाया जाएगा कि किस पार्टी को कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है। देश की अलग-अलग एजेंसियां ​​अपने-अपने आंकड़े जारी करेंगी। पोल के आंकड़े कितने सटीक होंगे, यह चुनाव के नतीजों के बाद साफ हो जाएगा।

नियम कहता है कि आखिरी चरण का मतदान खत्म होने के 30 मिनट बाद ही एग्जिट पोल जारी किया जा सकता है, लेकिन ओडिशा में नियम के उल्लंघन का मामला सामने आया है। यहां के एक टीवी चैनल ने एग्जिट पोल प्रसारित किया है। इसके बाद चुनाव आयोग ने ओडिशा के मुख्य चुनाव अधिकारी को नंदीघोषा टीवी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया। आइए, इसी बहाने जानते हैं कि एग्जिट पोल क्या होता है, इसे कैसे कराया जाता है, इसके नियम क्या कहते हैं, इसे तोड़ने पर कितनी सजा मिलेगी, एग्जिट पोल से ओपिनियन पोल कितना अलग है?

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क्या होता है एग्जिट पोल ?

एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वेक्षण है, जो मतदाताओं के जवाबों के आधार पर तैयार किया जाता है। मतदान के दिन मतदान केंद्रों पर न्यूज़ चैनल और एग्जिट पोल कराने वाली एजेंसियों के प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं। ये प्रतिनिधि उनसे सवाल पूछते हैं। उनके जवाबों का विश्लेषण किया जाता है और अनुमान लगाया जाता है कि मतदाताओं का झुकाव किस तरफ है। इस सर्वेक्षण में सिर्फ़ मतदाताओं को शामिल किया जाता है, ताकि अनुमान मतगणना के नतीजों के जितना संभव हो सके उतना करीब हो।

क्या कहता है कानून?

एग्जिट पोल कब जारी किए जाएंगे और कब नहीं, इसे लेकर एक कानून और गाइडलाइन है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 कहता है कि जब तक सभी चरणों का मतदान खत्म नहीं हो जाता, तब तक एग्जिट पोल जारी नहीं किए जा सकते।

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चुनाव आयोग ने इस बारे में पहली बार 1998 में दिशा-निर्देश जारी किए थे। हालांकि, इसके बाद भी एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल से जुड़ी गाइडलाइन अलग-अलग समय पर जारी की जाती रही हैं।

नियम कहता है कि अगर कोई न्यूज़ चैनल या सर्वे एजेंसी इस नियम का पालन नहीं करती है, तो इसका उल्लंघन करने पर 2 साल की कैद या जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है।

एग्जिट पोल के नतीजे कितने सटीक रहे हैं?

एग्जिट पोल चुनाव नतीजों की एक झलक देते हैं। हालांकि, ये सटीक होंगे या नहीं, ये नतीजों से पहले नहीं कहा जा सकता। कई बार ये अनुमान सटीक साबित हुए हैं, लेकिन कई बार ये नतीजों के उलट भी रहे हैं। हालांकि, ऐसा होने की संभावना कम ही है।

दुनिया में एग्जिट पोल की शुरुआत नीदरलैंड से हुई। 15 फरवरी 1967 को डच समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम ने एग्जिट पोल की नींव रखी। यहां हुए चुनावों के नतीजों को लेकर मार्सेल वॉन डैम का आकलन बिल्कुल सटीक निकला।

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भारत में एग्जिट पोल की औपचारिक शुरुआत साल 1996 में हुई थी। इसे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) ने किया था। तब पत्रकार नलिनी सिंह ने दूरदर्शन के लिए एग्जिट पोल किया था। CSDS ने इसके लिए डेटा जुटाया था। पोल में कहा गया था कि बीजेपी लोकसभा चुनाव जीतेगी और वही हुआ।

एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में कितना अंतर ?

आमतौर पर लोग एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल को एक ही मानते हैं, लेकिन दोनों में अंतर है। ओपिनियन पोल भी एक तरह का चुनावी सर्वे है, लेकिन इसे चुनाव से पहले जारी किया जाता है। इसके सर्वे में सभी लोगों को शामिल किया जाता है, यह जरूरी नहीं है कि वे मतदाता हों या नहीं। ओपिनियन पोल में लोगों से अलग-अलग मुद्दों पर क्षेत्रवार सवाल पूछे जाते हैं और उसका विश्लेषण करने के बाद सर्वे जारी किया जाता है। जबकि एग्जिट पोल मतदान के दिन किया जाता है और आखिरी चरण के मतदान के 30 मिनट बाद जारी किया जाता है। इसमें सिर्फ मतदाता ही शामिल होते हैं।

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Rajesh kumar

राजेश कुमार एक वर्ष से अधिक समय से पत्रकारिता कर रहे हैं। फिलहाल इंडिया न्यूज में नेशनल डेस्क पर बतौर कंटेंट राइटर की भूमिका निभा रहे हैं। इससे पहले एएनबी, विलेज कनेक्शन में काम कर चुके हैं। इनसे आप rajeshsingh11899@gmail.com के जरिए संपर्क कर सकते हैं।

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