India News(इंडिया न्यूज),Exit poll: तेलंगाना में वोटिंग खत्म होने के साथ ही गुरुवार यानी 30 नवंबर को देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव संपन्न हो जाएंगे. इसके बाद गुरुवार शाम को ही पांच राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना के एग्जिट पोल जारी होंगे, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकेगा कि किस राज्य में कौन सी राजनीतिक पार्टी सरकार बनाएगी।
इस बीच आपके और हममें से कई लोगों के मन में ये सवाल आ रहा होगा कि आखिर एग्जिट पोल होता क्या है? वोटों की गिनती से पहले ही यह दावा कैसे किया जा रहा है कि सरकार किसकी बनेगी? एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में क्या अंतर है? भारत में पहली बार एग्ज़िट पोल कहाँ आयोजित किया गया था और इसका प्रसारण कब किया गया था? यहां पढ़ें ऐसे सभी सवालों के सिलसिलेवार जवाब…
एग्जिट पोल एक प्रकार का चुनावी सर्वेक्षण है, जो मतदान के दिन किया जाता है। वोटिंग के दिन जब मतदाता वोट डालकर बूथ से बाहर आता है तो वहां अलग-अलग सर्वे एजेंसियां और न्यूज चैनल मौजूद होते हैं. वे मतदाताओं से मतदान को लेकर सवाल पूछते हैं। उनके जवाबों से पता चलता है कि लोगों ने किस राजनीतिक दल को वोट दिया है।
मतदाताओं के जवाब से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनता किस पर भरोसा कर रही है. यह सर्वे हर विधानसभा के अलग-अलग मतदान केंद्रों पर किया जाता है. एग्जिट पोल में सिर्फ वोटरों को शामिल किया जाता है. यह भी पहले से तय नहीं होता कि किस वोटर से सवाल पूछा जाएगा।
वोटिंग पूरी तरह खत्म होने के बाद एग्जिट पोल जारी किए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में एक साथ विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. चार राज्यों में वोटिंग हो चुकी है, जबकि तेलंगाना में 30 नवंबर को वोटिंग होगी। तेलंगाना में वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद पांचों राज्यों के एग्जिट पोल जारी किए जाएंगे.
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 126ए के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदान शुरू होने से लेकर आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद तक एग्जिट पोल जारी करने पर रोक है. इस कानून का पालन न करने पर दो साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
चुनाव आयोग ने साल 1998 में पहली बार एग्जिट पोल को लेकर गाइडलाइन जारी की थी. इसके मुताबिक, 14 फरवरी शाम 5 बजे से 7 मार्च शाम 5 बजे के बीच ओपिनियन और एग्जिट पोल के नतीजे जारी करने पर रोक लगा दी गई थी.
इसके बाद ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल जारी करते हुए यह बताने का निर्देश दिया गया कि किस एजेंसी ने सर्वे किया, कितने मतदाताओं से सवाल पूछे गए और क्या-क्या सवाल पूछे गए. आपको बता दें कि साल 1998 में लोकसभा चुनाव का पहला चरण 16 फरवरी और आखिरी चरण 7 मार्च को हुआ था।
मीडिया संगठनों ने भी इसका विरोध करते हुए दिल्ली और राजस्थान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव आयोग की गाइडलाइन पर रोक लगाने की मांग की थी. हालाँकि, अदालतों ने चुनाव आयोग के नियमों पर रोक नहीं लगाई। इस कारण वोटिंग खत्म होने तक ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल जारी नहीं हो सके।
1999 से 2009 तक चुनाव आयोग लगातार ओपिनियन पोल पर रोक लगाने के लिए कानून लाने की कोशिश करता रहा है. फरवरी 2010 में छह राष्ट्रीय और 18 क्षेत्रीय पार्टियों के समर्थन से धारा 126ए के तहत वोटिंग के दौरान एग्जिट पोल जारी न करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. जबकि चुनाव आयोग ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहता था।
दुनिया की बात करें तो सबसे पहले सर्वे की शुरुआत अमेरिका में हुई थी। जॉर्ज गैलप और क्लाउड रॉबिन्सन ने अमेरिकी सरकार के कामकाज पर लोगों की राय जानने के लिए सर्वेक्षण (ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल) किया। इसके बाद ब्रिटेन ने 1937 में और फ्रांस ने 1938 में पोल सर्वे कराया. जबकि जर्मनी, डेनमार्क, बेल्जियम और आयरलैंड में चुनाव से पहले सिर्फ ओपिनियन पोल कराया गया।
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