what is garud commando: देशभर में आज 74 वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। इस बार के परेड समारोह में पहली बार गरुड़ कमांडोज हिस्सा ले रही है। गरुड़ कमांडो देश की सबसे उत्कृष्ट सैन्य बलों की टुकड़ियों में से एक है। जो मुख्य रूप से भारतीय वायुसेना के साथ कार्य करती है। इनमें शामिल होने वाले कमांडोज की ट्रेनिंग काफी एडवांसड और सख्त होती है। इनकी ट्रेनिंग इस तरह की जाती है कि ये बिना कुछ खाए हफ्ते तक संघर्ष कर सकते हैं। भारत के सबसे खतरनाक कमांडो में वायुसेना के गरुड़ कमांडो का नाम लिया जाता है। इस फोर्स में करीब 1500 जवान हैं। गरुड़ कमांडो को एयरबोर्न ऑपरेशन, एयरफील्ड सीजर और काउंटर टेररिज्म का जिम्मा उठाने के लिए ट्रेन किया जाता है। इनकी जिम्मेदारी वायुसेना की एयर फील्ड की सुरक्षा करना व आपातकालीन स्थितियों में हवाई ऑपरेशन को अंजाम देना होता है।
2004 में किया गया गठन
बता दें कि साल 2001 के दौरान जब आतंकियों के द्वारा जम्मू-कश्मीर के एयरबेस पर हमला किया गया। उस वक्त तक देश के पास भारतीय सैन्य एयरफिल्ड को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशेष सैन्य फोर्स नहीं था। इसकी जरूरत को महसूस करते हुए भारत सरकार की ओर 2004 में गरुड़ कमांडोज को आधिकारिक रूप से शामिल करने का प्रस्ताव को पास किया गया। उस वक्त से लेकर अबतक गरुड़ कमांडोज देश से सैन्य एयरबेस की सुरक्षा व वायुसेना के साथ ऑपरेशन को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाते हैं।
नेवी के मार्कोस और आर्मी के पैरा से भी खतरनाक
वायुसेना का गरुड़ कमांडो का सख्त ट्रेनिंग इसे नेवी के मार्कोस और आर्मी के पैरा कमांडोज से अलग बनाता है। हालांकि तीनों सैन्य यूनिट देश की विशेष फोर्स में एक है, लेकिन बताया जाता है कि गरुड़ कमांडो का ट्रेनिंग मार्कोस और पैरा से ज्यादा वक्त का होता है। गरुड़ कमांडो हवाई हमले, दुश्मन की टोह लेने, स्पेशल कॉम्बैट और रेस्क्यू ऑपरेशन्स के लिए ट्रेंड होते हैं। ये स्निपर्स से लैस होते हैं, जो चेहरा बदलकर दुश्मन को झांसे में लाता है और फिर मौत के घाट उतार देता है। ये कमांडोज कई उन्नत हथियारों से लैस होते हैं जिसमें 200 UAV ड्रोन के साथ-साथ ग्रेनेड लांचर, Tavor टीएआर -21 असॉल्ट राइफल, ग्लॉक 17 और 19 पिस्टल, क्लोज क्वॉर्टर बैटल के लिए हेक्लर ऐंड कॉच MP5 सब मशीनगन, AKM असॉल्ट राइफल, एक तरह की एके-47 और शक्तिशाली कोल्ट एम-4 कार्बाइन शामिल हैं।