India News (इंडिया न्यूज), What Is Mock Drill: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। इस हमले के बाद गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए हैं कि वे सार्वजनिक स्थलों, स्कूलों, मॉल, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और अन्य भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में मॉक ड्रिल यानी अभ्यास ड्रिल अनिवार्य रूप से कराएं। इसका मकसद है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में आम लोगों और सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया को समय रहते परखा जा सके।
मॉक ड्रिल एक ऐसा प्री-प्लैनेड अभ्यास होता है, जिसमें किसी आपदा या खतरे की स्थिति को वास्तविक परिस्थितियों की तरह दर्शाया जाता है। इसका उद्देश्य होता है यह जानना कि लोग उस समय कैसे प्रतिक्रिया देंगे और बचाव दलों की तत्परता कैसी है। इसमें कभी आग लगने, आतंकी हमले या भूकंप जैसी स्थिति को सजीव रूप में दिखाया जाता है और फिर पूरे राहत कार्य का अभ्यास कराया जाता है। आज के दौर में जब किसी भी तरह की आपदा या हमले की आशंका लगातार बनी रहती है, मॉक ड्रिल प्रशासन और जनता दोनों के लिए बेहद जरूरी हो गई है। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि आम लोग खतरे की स्थिति में कैसा व्यवहार करेंगे, सुरक्षाकर्मी कितनी तेजी से प्रतिक्रिया देंगे और मौजूदा अलर्ट सिस्टम कितने प्रभावी हैं। इसके साथ ही, इस प्रक्रिया से यह भी जाना जाता है कि किस स्तर पर सुधार की आवश्यकता है।
What Is Mock Drill
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मॉक ड्रिल की प्रक्रिया तय समय और योजना के अनुसार होती है। पहले अलार्म या चेतावनी दी जाती है, फिर लोगों को यह बताया जाता है कि किस तरह की स्थिति है, जैसे आग, बम की सूचना या भूकंप। इसके बाद लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जाता है और फायर ब्रिगेड, एनडीआरएफ, पुलिस तथा मेडिकल टीमें मौके पर पहुंचती हैं। अंत में पूरे अभ्यास का मूल्यांकन होता है ताकि यह जाना जा सके कि कहां-कहां खामियां हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है।
स्कूलों में बच्चों को भूकंप के समय डेस्क के नीचे छिपने और खुले मैदान में जाने का अभ्यास कराया जाता है, तो वहीं ऑफिस और मॉल में फायर एग्जिट का प्रयोग कर कर्मचारियों और आम लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की प्रक्रिया का रिहर्सल किया जाता है। वहीं, आतंकवादी हमले जैसी स्थिति में सुरक्षा बल तुरंत कार्रवाई कर संदिग्धों को पकड़ने और लोगों को बचाने का अभ्यास करते हैं। इस तरह की मॉक ड्रिल न केवल सुरक्षा व्यवस्था को कसौटी पर कसती हैं, बल्कि आम जनता को भी मानसिक रूप से तैयार करती हैं कि किसी आपदा की घड़ी में कैसे शांत रहकर सही कदम उठाए जाएं।
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