इंडिया न्‍यूज। What is National Herald Case: ये बहुत ही पेचीदा केस है। कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर 50 लाख लगातार कैसे 2 हजार करोड़ बने। हम आपको बताएंगे कि आखिरी नेशनल हेराल्‍ड केस क्‍या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई।

राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी से सांसद हैं। आज ED ने उन्‍हें ऑफि‍स में बुला रखा है। पिछले एक घंटे से राहुल गांधी से सवाल किए जा रहे हैं। जून की शुरुआत में ही सोनिया गांधी और राहुल को ED ने समन भेजा था। ED ने दोनों को जांच में शामिल होने को कहा था।

सोनिया गांधी को 8 जून को जांच में शामिल होना था। लेकिन सोनिया गांधी कोरोना पॉजिटिव होने के कारण जांच में शामिल नहीं हो सकीं। वहीं राहुल गांधी को 13 जून को पेश होने को कहा गया था। बता दें कि ED अब सोनिया गांधी से 23 जून को पूछताछ करेगी।

जानिए नेशनल हेराल्ड केस क्या है?

वर्ष 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने घपले के खिलाफ याचिका डाली थी। उन्‍होंने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल की थी। सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत चार अन्‍य पर रुपयों की हेराफेरी का आरोप लगाया था। सुब्रमण्यम स्वामी ने मोतीलाल वोहरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर भी हेराफेरी के आरोप लगाए थे।

सुब्रमण्यम स्वामी ने क्‍या आरोप लगाए थे

सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका के अनुसार उक्‍त नेताओं ने नेशनल हेराल्‍ड की संपत्तियों पर कब्‍जा करने के लिए यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) ऑर्गेनाइजेशन बनाई। इसके साथ ही एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) जो नेशनल हेराल्‍ड का प्रकाशन करती थी उसका अधिग्रहण किया।

यह भी आरोप लगाया गया कि नेशनल हेराल्‍ड की दिल्‍ली स्थिति बहादुर शाह जफर मार्ग की बिल्डिंग की कीमत 2 हजार करोड़ रुपए आंकी गई थी। याचिका के अनुसार उक्‍त कांग्रेसी नेताओं ने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) को मात्र 50 लाख रुपए में खरीदा था।

नेशनल हेराल्‍ड मामले में कोर्ट ने जून 2014 में सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया था। इसके बाद ED ने अगस्‍त 2014 में इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। वहीं दिसंबर 2015 में पटियाला कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्‍य आरोपियों को जमानत दे दी थी। इसके बाद अब ED ने सोनिया गांधी और राहुल को समन जारी किया था।

पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू ने शुरू किया था नेशनल हेराल्‍ड

आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1938 में नेशनल हेराल्‍ड का प्रकाशन शुरू किया था। इसमें करीब पांच हजार स्‍वतंत्रता सेनानियों का योगदान था। नेशनल हेराल्‍ड का प्रकाशन असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड द्वारा किया जाता था। आजादी के बाद यही अखबार कांग्रेस का मुखपत्र बन गया।

तीन भाषाओं में प्रकाशित होता था

एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) ने सबसे पहले अंग्रेजी में नेशनल हेराल्‍ड अखबार का प्रकाशन शुरू किया। इसके बाद हिंदी में नवजीवन के नाम से दैनिक समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया। वहीं उस समय उर्दू पढ़ने वाले काफी लोग थे तो इसलिए कौमी आवाज के नाम से अखबार का प्रकाशन शुरू किया गया। तीनों प्रकाशन 2008 में घाटे के कारण बंद कर दिए गए। इसेे चलाए रखने के लिए कांग्रेस ने 90 करोड़ रुपए का भी कर्ज दिया था।

असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड का अधिग्रहण क्‍यों हुआ

2010 में नेशनल हेराल्‍ड का प्रकाशन करने वाले एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड का अधिग्रहण यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) में कर दिया गया। स्‍वामी की याचिका के अनुसार यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सोनिया गांधी और राहुल गांधी थे।

इसमें सोनिया और राहुल गांधी की हिस्‍सेदारी 76 फीसदी थी। वहीं बाकी अन्‍य 04 लोगों की हिस्‍सेदारी 24 फीसदी थी। कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के 90 करोड़ रुपए लोन को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड में ट्रांसफर कर दिया। इसी दौरान 2020 में मोतीलाल वोहरा और 2021 में ऑस्कर फर्नांडीज का निधन हो गया।

सुब्रमण्यम स्वामी ने सौदे पर क्‍या सवाल उठाए

सुब्रमण्यम स्वामी को पता चला कि एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड ने सोनिया राहुल की यंग इंडियन को 9 करोड़ शेयर दिए हैं। इसके साथ ही यंग इंडियन को एसोसिएटेड जर्नल के 99 फीसदी शेयर प्राप्‍त हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल का 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया। इसी बात को ध्‍यान में रखते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने इस सौदेबाजी पर सवाल उठाए।

आरोप का खंडन करती है कांग्रेस

आरोपों के खिलाफ कांग्रेस का कहना है कि यंग इंडियन लिमिटेड की स्‍थापना चैरिटी के लिए की गई थी। यंग इंडियन लिमिटेड का उद्देश्य कभी भी मुनाफा कमाना नहीं था। कांग्रेस ये भी कहती है कि यंग इंडियन लिमिटेड ने जो ट्रांजैक्शन किया वह फाइनेंशियल नहीं, बल्कि कॉमर्शियल था।

इस बारे में वरिष्‍ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी कहते हैं कि प्रॉपर्टी या कैश का ट्रांसफर नहीं हुआ है। ऐसे में मनी लॉन्ड्रिंग का कैसे बेबुनियाद है। वे यह भी कहते हैं कि जब एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड घाटे में चल रहा था तब कांग्रेस ने 90 करोड़ रुपए का लोन दिया था।

एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड ने लोन का इक्विटी के जरिए इसे यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। संघवी के अनुसार यंग इंडियन नॉन फॉर प्रोफि‍ट आर्गेनाइजेशन है। ऐसे में इसके डायरेक्‍टर्स या शेयरहोल्‍डर्स को लाभांश नहीं मिल सकता।

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