Hindi News / Indianews / Where Did Pravesh Verma Luck Betray Him These 5 Reasons Made Rekha Gupta Lose Chair

Parvesh Verma की किस्मत कहां दे गई धोखा? इन 5 वजहों से रेखा गुप्ता ले उड़ीं कुर्सी

Parvesh Verma: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से प्रवेश वर्मा लगातार मुख्यमंत्री की रेस में आगे चल रहे थे। लेकिन भाजपा ने भाई-भतीजावाद से बचने, महिला सशक्तिकरण, स्वच्छ छवि, हरियाणा कनेक्शन और वैश्य समुदाय को लुभाने जैसी कई रणनीतियां साधने की कोशिश की है।

BY: Sohail Rahman • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Parvesh Verma: दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता शपथ लेंगी। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, भाजपा के दिल्ली प्रदेश कार्यालय में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक में उन्हें सर्वसम्मति से नेता चुना गया। इस बैठक में प्रवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता और सतीश उपाध्याय ने रेखा गुप्ता के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका सभी ने समर्थन किया। इससे पहले प्रवेश वर्मा का नाम भी सीएम पद की रेस में चर्चा में था, लेकिन आखिरकार रेखा गुप्ता ने बाजी मार ली। इस फैसले के पीछे कई अहम वजहें बताई जा रही हैं, जो भाजपा की रणनीति को भी दर्शाती हैं।

क्यों पिछड़ गए प्रवेश वर्मा?

रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने भाई-भतीजावाद के आरोपों से बचने की रणनीति अपनाई है। आपको बता दें कि, प्रवेश वर्मा पूर्व मुख्यमंत्री साहब सिंह वर्मा के बेटे हैं और अगर भाजपा उन्हें सीएम बनाती तो पार्टी पर भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने का आरोप लग सकता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भाई-भतीजावाद को लेकर विपक्षी दलों पर हमला बोलते रहे हैं। ऐसे में रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने यह संदेश दिया कि वह पारिवारिक पृष्ठभूमि को नहीं, बल्कि योग्यता को प्राथमिकता देती है। 

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Parvesh Verma (इन 5 कारणों से पिछड़ गए प्रवेश वर्मा)

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साफ छवि की वजह से रेखा गुप्ता को दी गई तरजीह

रेखा गुप्ता का राजनीतिक सफर साफ-सुथरा और विवादों से मुक्त रहा है। वह वर्षों से भाजपा संगठन में सक्रिय भूमिका निभाती रही हैं और विभिन्न पदों पर काम कर चुकी हैं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) की अध्यक्ष रह चुकी हैं और नगर निगम में पार्षद भी रह चुकी हैं। 1992 में उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य के रूप में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। उनके राजनीतिक सफर में कोई विवाद नहीं रहा, जिससे उनकी साफ-सुथरी छवि बनी रही। वहीं प्रवेश वर्मा की छवि कट्टर हिंदू नेता की रही है, जबकि रेखा गुप्ता को सौम्य और शांत राजनीतिज्ञ के रूप में देखा जाता है।

महिला होना भी था एक फैक्टर

भाजपा ने महिला नेतृत्व को प्राथमिकता देते हुए रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया है। पार्टी के इस कदम को महिला मतदाताओं को आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। हाल ही में हुए दिल्ली चुनाव में महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक रही, जिसे भाजपा ने अवसर के रूप में देखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने भाषणों में महिला सशक्तिकरण पर जोर देते रहे हैं। फिलहाल किसी भी राज्य में भाजपा की महिला मुख्यमंत्री नहीं है, ऐसे में रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने विपक्षी दलों को करारा जवाब दिया है। 

काम आया हरियाणा कनेक्शन

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हरियाणा से आते हैं और इस समीकरण को संतुलित करने के लिए भाजपा ने हरियाणा में जन्मी रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर नई रणनीति अपनाई है। दिल्ली में हरियाणा मूल के लोगों की संख्या काफी ज्यादा है, जो चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा हरियाणा में भाजपा की सरकार है, जिसके चलते यह फैसला दिल्ली और हरियाणा के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने में भी मददगार साबित हो सकता है। 

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वैश्य समुदाय को लुभाने की कोशिश

वैश्य समुदाय को लुभाने की रणनीति रेखा गुप्ता वैश्य समुदाय से आती हैं और उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने इस समुदाय को साधने की कोशिश की है। दिल्ली में वैश्य समुदाय का प्रभाव काफी अहम है और भाजपा का कोर वोट बैंक भी इसी समुदाय से आता है। इसके अलावा रेखा गुप्ता का परिवार राजनीति में सक्रिय नहीं रहा है, जिसके चलते भाजपा ने यह संदेश दिया कि वह सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले नेताओं को भी शीर्ष पदों पर पहुंचने का मौका देती है।

इन 5 फैक्टर की वजह से पिछड़े प्रवेश वर्मा

भाजपा ने दिल्ली की राजनीति में एक मजबूत संदेश देने के लिए रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री चुना है। इस फैसले के जरिए पार्टी ने भाई-भतीजावाद से बचने, महिला सशक्तिकरण, स्वच्छ छवि, हरियाणा कनेक्शन और वैश्य समुदाय को लुभाने जैसी कई रणनीतियां साधने की कोशिश की है।

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