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हिन्दू मंदिरों की शक्ति पर सवाल उठाने वाले कौन हैं इंद्रजीत सरोज? मायावती को छोड़ इस तरह थामा अखिलेश का हाथ, बेटे के इस कारनामे की वजह से हुए मशहूर

2017 का चुनाव हारने के बाद इंद्रजीत सरोज ने बसपा सुप्रीमो मायावती से मतभेदों के चलते 2018 में बसपा छोड़ दी और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। सपा में शामिल होने के बाद इंद्रजीत सरोज को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया।

BY: Divyanshi Singh • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज),Indrajit Saroj: अखिलेश यादव के विधायक इंद्रजीत सरोज अपने एक विवादित बयान की वजह से चर्चा में हैं। इंद्रजीत सरोज ने हिंदू देवी-देवताओं को लेकर ऐसा बयान दिया जिससे बवाल मच गया। उन्होंने कहा कि अगर भारत के मंदिरों में शक्ति होती तो मोहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी और मोहम्मद गोरी जैसे लुटेरे देश में नहीं आते।इससे पहले वे 2024 के लोकसभा चुनाव में भी चर्चा में रहे थे। जब उनके बेटे पुष्पेंद्र सरोज देश के सबसे युवा सांसद चुने गए थे। इंद्रजीत सरोज का जन्म 1 जनवरी 1963 को कौशांबी के नगरेहा खुर्द गांव पश्चिम शरीरा में एक किसान परिवार में हुआ था। उस समय यह अलग जिला न होकर इलाहाबाद जिले में आता था। सामान्य परिवार में जन्मे इंद्रजीत सरोज ने प्रारंभिक शिक्षा के बाद 1985 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक किया। यहीं से वे सामाजिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए। इंद्रजीत सरोज बाबा साहब के विचारों से प्रभावित थे, इसलिए वे बहुजन समाज पार्टी से जुड़ गए।

बासपा सरकार में तीन बार कैबिनेट मंत्री

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद इंद्रजीत सरोज बसपा की राजनीति में सक्रिय हो गए, जिसके बाद उन्हें 1996 में मंझनपुर सुरक्षित विधानसभा सीट से पहली बार बसपा का टिकट मिला और वे विधायक चुने गए। वे 2012 तक मंझनपुर से विधायक चुने जाते रहे। इस दौरान वे बसपा सरकार में तीन बार कैबिनेट मंत्री भी रहे। वे बसपा प्रमुख मायावती के खास सिपहसालार माने जाते थे। 2017 के चुनाव में इंद्रजीत सरोज को मंझनपुर सीट पर हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के लाल बहादुर ने उन्हें 4,160 मतों से हराया।

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2018 में थामा समाजवादी पार्टी का हाथ

2017 का चुनाव हारने के बाद इंद्रजीत सरोज ने बसपा सुप्रीमो मायावती से मतभेदों के चलते 2018 में बसपा छोड़ दी और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। सपा में शामिल होने के बाद इंद्रजीत सरोज को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। 2019 का चुनाव उन्होंने सपा के टिकट पर कौशांबी लोकसभा सीट से लड़ा था, लेकिन भाजपा के विनोद सोनकर से करीब 38 हजार वोटों से हार गए थे। 2022 में वह एक बार फिर सपा के टिकट पर मंझनपुर से विधायक चुने गए। अब वह विधानसभा में सपा के उपनेता हैं।

बेटे ने लंदन से की पढ़ाई

इंद्रजीत सरोज की तीन बेटियां और एक बेटा है। 1 मार्च 1999 को जन्मे इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र सरोज 2024 के लोकसभा चुनाव में देश के सबसे युवा सांसद चुने गए। जिसके बाद वह लगातार सुर्खियों में रहे। फिलहाल वह कौशांबी लोकसभा सीट से सांसद हैं। पुष्पेंद्र ने देहरादून के प्रतिष्ठित वेल्हम ब्वॉयज स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी की। यहां उन्होंने कॉमर्स स्ट्रीम में 89 फीसदी अंक हासिल किए। इसके बाद उन्होंने 2019 में लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी से अकाउंटिंग एंड मैनेजमेंट में बीएससी की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद पुष्पेंद्र ने 2024 का लोकसभा चुनाव कौशांबी (सुरक्षित) सीट से सपा के टिकट पर लड़ा और भाजपा के मौजूदा सांसद विनोद सोनकर को 1,03,944 वोटों से हराकर शानदार जीत हासिल की। ​​इस जीत ने न सिर्फ अपने पिता की 2019 की हार का बदला लिया, बल्कि पुष्पेंद्र को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में भी ला दिया।

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