इंडिया न्यूज, नई दिल्ली। हाल ही में WHO की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें कोरोना की वजह से हुई मौतों के आंकड़े दिखाए गए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोरोना की वजह से 47 लाख से ज्यादा लोगों की मौतें हुई हैं। वहीं भारत का जो आधिकारिक आंकड़ा है, वो पांच लाख से कुछ ज्यादा का है। ऐसे में भारत सरकार ने WHO की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज करवा दी है और इस आंकड़े को सही नहीं बताते हुए इसे नकार दिया है।
भारत सरकार ने उस आंकड़े पर ही सवाल खड़ कर दिए हैं। उनके मुताबिक जिस तकनीक या माडल के जरिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये आंकड़े इकट्ठा किए हैं, वो ठीक नहीं है। जारी बयान में कहा गया कि भारत की आपत्तियों के बावजूद भी WHO ने पुरानी तकनीक और माडल के जरिए मौत के आंकड़े जारी कर दिए हैं, भारत की चिंताओं पर सही तरीके से गौर नहीं किया गया।
सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया कि WHO द्वारा जो आंकड़े जारी किए गए हैं वो सिर्फ 17 राज्यों को लेकर है। केंद्र के मुताबिक वो कौन से राज्य हैं, WHO द्वारा लंबे समय तक वो भी स्पष्ट नहीं किया गया था। अभी ये भी नहीं पता है कि कब ये आंकड़े इकट्ठा किए गए थे।
इसके अलावा सरकार ने इस बात पर भी आपत्ति दर्ज करवाई कि WHO ने मैथमेटिकल माडल का इस्तेमाल कर आंकड़े जुटाए, जबकि भारत द्वारा हाल ही में विश्वनीय CSR रिपोर्ट जारी की गई।
WHO की रिपोर्ट की बात करें तो उसके मुताबिक पिछले दो सालों में 1.5 करोड़ लोगों की कोरोना या फिर समय पर इलाज ना मिलने की वजह से मौत हुई है। वहीं भारत का आंकड़ा 47 लाख से ज्यादा बताया गया है।
इस बारे में WHO के प्रमुख टेड्रोस एडनाम घेब्रेयियस ने कहा है कि ये काफी गंभीर आंकड़े हैं। जोर देकर कहा गया है कि सभी देशों को भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए और ज्यादा तैयारी करनी चाहिए और इस दिशा में ज्यादा निवेश पर भी ध्यान देना चाहिए।
अभी के लिए भारत की तरफ से इन आंकड़ों के खिलाफ विश्व पटल पर आवाज उठाई जाएगी। हर जरूरी प्लेटफार्म पर इन बढ़े हुए आंकड़ों पर आपत्ति दर्ज करवाई जाएगी। AIIMS के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी WHO के आंकड़ों को सही नहीं माना है।
उन्होंने भी WHO की उस प्रणाली पर सवाल उठाए हैं जिसके जरिए ये आंकड़े इकट्ठा किए गए। उन्होंने ये भी कहा कि भारत में जन्म-मृत्यु के आंकड़े दर्ज करने का व्यवस्थित तरीका है जिसमें कोविड के अलावा हर तरह की मौत के आंकड़े दर्ज होते हैं जबकि इस आंकड़े इस्तेमाल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नहीं किया है।
नीति आयोग के सदस्य वीके पाल भी ये मानते हैं कि जब पहले से ही भारत के पास कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा मौजूद है, ऐसी स्थिति में उस माडल को तवज्जो नहीं दी जा सकती जहां पर सिर्फ अनुमान के मुताबिक आंकड़े जारी किए गए हों। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया है कि साल 2020 में भारत में कोरोना की वजह से 1.49 लाख मौते हुई थीं।
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