India News(इंडिया न्यूज),Speaker Elections: 18वीं लोकसभा का अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर पिछले एक सप्ताह से कई नाम चर्चा में हैं। अब लोकसभा अध्यक्ष के चयन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने अपने सहयोगी दलों से अध्यक्ष पद के लिए नाम सुझाने को कहा है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने तेलुगु देशम पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और लोजपा (आर) से पूछा है कि क्या उनके मन में अध्यक्ष पद के लिए कोई नाम है? हालांकि, अभी तक किसी भी सहयोगी दल की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
पीएम मोदी करेंगे फैसला
हालांकि सहयोगी दलों ने फैसला प्रधानमंत्री मोदी पर छोड़ दिया है। अध्यक्ष को लेकर राजनाथ के घर बैठक नए लोकसभा अध्यक्ष को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर मंगलवार शाम को बैठक प्रस्तावित है। दो दिन पहले भी राजनाथ सिंह के घर पर एनडीए नेताओं की बैठक हुई थी। कहा जा रहा है कि अध्यक्ष को लेकर आम सहमति बनाने की जिम्मेदारी भाजपा आलाकमान ने राजनाथ सिंह को दी है। पहली बैठक राजनाथ सिंह के घर पर हुई, जिसमें जेडीयू, टीडीपी और लोजपा (आर) के नेता शामिल हुए। स्पीकर को लेकर तीन तरह की चर्चाएं चल रही हैं।
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1. बीजेपी का स्पीकर और सहयोगी दलों का डिप्टी स्पीकर
इस विषय पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी स्पीकर का पद अपने पास रखेगी। बदले में वह सहयोगी दलों को डिप्टी स्पीकर का पद देगी। 2014 और 2019 में भी बीजेपी ने अपने कोटे से स्पीकर बनाया था। 2014 में पार्टी ने डिप्टी स्पीकर का पद AIADMK को दिया था। 2019 में डिप्टी स्पीकर का पद खाली था।
2. स्पीकर पद के लिए टीडीपी की दावेदारी
एनडीए खेमे में स्पीकर पद को लेकर दूसरी बड़ी चर्चा टीडीपी की दावेदारी से जुड़ी है। कहा जा रहा है कि 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में टीडीपी को स्पीकर का पद मिला था। पार्टी ने उस समय जीएमसी बालयोगी को लोकसभा का स्पीकर बनाया था। हालांकि, टीडीपी ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। जेडीयू ने जरूर कहा है कि यह पद बीजेपी को मिलेगा।
3. भारत भी दावा पेश करेगा
एनडीए खेमे के अलावा भारत गठबंधन ने भी लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए दावा पेश करना शुरू कर दिया है। अगर भारत गठबंधन के दलों को उपसभापति का पद नहीं मिलता है तो पार्टियां अध्यक्ष पद के लिए भी उम्मीदवार उतारेंगी। आमतौर पर राजनीतिक पारदर्शिता के तहत विपक्ष को उपसभापति का पद देने की परंपरा रही है। हालांकि, 2014 के बाद से भाजपा ऐसा नहीं कर पाई है।
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