Wholesale Inflation Increased
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
खुदरा महंगाई के बाद अब थोक महंगाई के आंकड़े भी डराने वाले आए हैं। मार्च महीने में थोक महंगाई फरवरी महीने की 13.11 फीसदी से बढ़कर 14.55 फीसदी पर आ गई है। यह लगातार 12वां महीना है जब थोक महंगाई डबल डिजिट में बनी हुई है।
खाने-पीने के सामान, इंधन और बिजली के दाम में बढ़ोतरी होने से थोक महंगाई दर में इजाफा आया है। महीने दर महीने आधार पर मार्च महीने में (MARCH WPI DATA) खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर 8.47 फीसदी से बढ़कर 8.71 फीसदी पर आ गई है। प्राइमरी आर्टिकल्स की थोक महंगाई दर फरवरी के 13.39 फीसदी से बढ़कर 15.54 फीसदी पर आ गई है। वहीं इंधन और बिजली की थोक महंगाई दर फरवरी के 31.50 फीसदी से बढ़कर 34.52 फीसदी पर आ गई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च महीने में बनी बनाई वस्तुओं (Manufactured Products) की थोक महंगाई दर फरवरी के 9.84 फीसदी से बढ़कर 10.71 फीसदी पर आ गई है। जबकि आलू की थोक महंगाई दर फरवरी के 14.78 फीसदी से बढ़कर 24.62 फीसदी पर रही है।
सब्जियों की थोक महंगाई दर में राहत (Wholesale Inflation Increased)
महीने दर महीने आधार पर मार्च महीने में सब्जियों की थोक महंगाई दर में कुछ राहत मिलती नजर आई है और यह 26.93 फीसदी से घटकर 19.88 फीसदी पर आ गया है। लेकिन मार्च में प्याज और अंडे भी महंगे होते नजर आए हैं। मार्च महीने में प्याज की महंगाई दर -26.37 फीसदी से बढ़कर -9.33 फीसदी पर आ गई है। वहीं अंडे, मास और मछली की महंगाई दर 8.14 फीसदी से बढ़कर 9.42 फीसदी पर आ गई है।
क्या होती है थोक महंगाई
होलसेल प्राइस इंडेक्स या थोक महंगाई इंडेक्स से थोक बाजार में सामान की औसत कीमतों में हुए बदलाव का पता चलता है। इस इंडेक्स के द्वारा डिमांड और सप्लाई की स्थिति का भी पता चलता है। थोक महंगाई को मापने के लिए 2011-12 के साल को बेस ईयर को देखा जाता है। पहले इसे मापने का बेस ईयर 2004-2005 था।
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