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भारत के इस जंगल की लकड़ी के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है चीन! पीछे की वजह जानकार हो जाएंगे हैरान!

India News (इंडिया न्यूज), Pushpa 2 Red Sandalwood:  शेषाचलम के जंगल और लाल चंदन की तस्करी, चाहे अल्लू अर्जुन की पुष्पा-1 हो या पुष्पा-2 द रूल, दोनों की पृष्ठभूमि में यही चलता है।  ये वो लाल चंदन है जो न सिर्फ़ महंगा है बल्कि अपनी कई खूबियों के लिए भी जाना जाता है। शेषाचलम के जंगल आंध्र प्रदेश के तिरुपति और कडप्पा की पहाड़ियों पर फैले हुए हैं। यहां मिलने वाले लाल चंदन को रक्त चंदन भी कहा जाता है। इसकी एक खास बात ये है कि शैव और शाक्त समुदाय के लोग पूजा-पाठ के लिए लाल चंदन का इस्तेमाल करते हैं। जानिए कितना बड़ा है शेषाचलम का जंगल और क्यों लाल चंदन इतना महंगा है कि इसकी तस्करी होती है।

कितनी भव्य है शेषाचलम पहाड़ी?

शेषाचलम पहाड़ियों की लंबाई करीब 80 किलोमीटर और चौड़ाई करीब 40 किलोमीटर है। दुनिया के कई देशों में लाल चंदन की काफी मांग है। इसमें चीन, जापान, सिंगापुर और यूएई शामिल हैं। विदेशों में इसकी मांग के कारण इस लकड़ी की तस्करी की जाती है। लाल चंदन को चंदन के दुर्लभ पेड़ों में से एक माना जाता है, यही वजह है कि तस्करों की इस पर नजर रहती है। आंध्र प्रदेश में इसकी कटाई प्रतिबंधित है। इसे राज्य से बाहर ले जाना गैरकानूनी है। पिछले कुछ सालों में यहां पाए जाने वाले लाल चंदन के पेड़ों की संख्या में करीब 50 फीसदी की कमी आई है।

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तस्करी के जरिए चीन तक लाल चंदन कैसे पहुंचा?

इंडिया टुडे मैगजीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पहले तस्करों को लाल चंदन से करीब 1200 फीसदी का मुनाफा होता था, यही वजह थी कि वे अपनी जान जोखिम में डालकर हर साल चेन्नई, मुंबई, तूतीकोरिन और कोलकाता और नेपाल के बंदरगाहों के जरिए करीब 2 हजार टन लाल चंदन चीन भेजते थे। तस्करी के लिए इसे चादरों, सरसों की खली, नारियल के रेशे और नमक में छिपाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता था। तस्करों को पकड़ने के लिए कई अभियान चलाए गए। 2015 में एक मुठभेड़ में कई तस्कर मारे गए थे। इसे लेकर यहां का कानून सख्त है। लाल चंदन की तस्करी करते पाए जाने पर 11 साल की जेल हो सकती है।

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लाल चंदन कितना महंगा है और क्यों?

यह चंदन की एक दुर्लभ प्रजाति है, जिसके पेड़ खासकर आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में पाए जाते हैं। यहां की जलवायु इसके उत्पादन में खास भूमिका निभाती है। यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में उगता है। लाल चंदन का इस्तेमाल सदियों से पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता रहा है। इसका इस्तेमाल गठिया और त्वचा के संक्रमण के इलाज में किया जाता है। इसके एंटीसेप्टिक गुण घावों को भरने में मदद करते हैं। लाल चंदन की कीमत इसकी गुणवत्ता और मांग के आधार पर तय की जाती है। TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक लाल चंदन की औसत कीमत 50 हजार रुपये से 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है। अगर लाल चंदन उच्च गुणवत्ता का है तो इसकी कीमत 2 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाती है।

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Deepak

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