इंडिया न्यूज़ (दिल्ली):भारतीय बैंकों का विलफुल डिफॉल्टरों का बकाया पिछले एक दशक में 10 गुना से अधिक बढ़ गया है,जो 31 मार्च 2012 को 23,000 करोड़ रुपये से इस साल 31 मई को 2.4 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
क्रेडिट-सूचना देने वाली कंपनी ट्रांसयूनियन सिबिल के डेटा से पता चलता है कि मार्च 2021 में लॉकडाउन के दौरान डिफ़ॉल्ट काफी बढ़ कर 2.6 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी,लेकिन तब से इसमें थोड़ी कमी आई है.
डेटा केवल उन खातों से संबंधित है जिनमें 25 लाख रुपये या उससे अधिक की बकाया राशि वाले विलफुल डिफॉल्टरों के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है,31 मई तक 12,000 से अधिक ऐसे डिफ़ॉल्ट थे.
इन 12,000 खातों में राशि के विश्लेषण से पता चलता है कि 1 करोड़ रुपये से कम के ऋण,जैसे कि घर खरीदारों द्वारा लिए गए कुल डिफ़ॉल्ट का सिर्फ 1% से अधिक है,दूसरी ओर, 100 करोड़ रुपये से अधिक के डिफॉल्ट करने वाली 250 से अधिक संस्थाओं ने कुल 1.36 लाख करोड़ रुपये या कुल विलफुल डिफॉल्ट का 58% हिस्सा लिया.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार,विलफुल डिफॉल्टर वे हैं जो चुकाने की क्षमता होने के बावजूद ऋण पर डिफ़ॉल्ट करते हैं,ऋण के विशिष्ट उद्देश्य के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए धन का उपयोग करने वाली इकाइयाँ भी इस श्रेणी में आती हैं,ऐसी फर्में जो धन का गबन करती हैं और धन का उत्पादन नहीं कर पाती हैं या उनका उपयोग करके बनाई गई संपत्ति को भी विलफुल डिफॉल्टर्स के रूप में वर्गीकृत किया जाता है.
हमने उन लोगों या कंपनियों के बकाया राशि को सम्मलित किया है,जिनके पास कम से कम एक खाता था जिसमें उन्होंने 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक का डिफॉल्ट किया था,इस तरह के एकीकरण से पता चलता है कि ऋषि अग्रवाल और अन्य द्वारा प्रवर्तित एबीजी ग्रुप इस सूची में सबसे ऊपर है,विभिन्न बैंकों में कंपनी के सात ऋण खातों में विलफुल डिफॉल्ट के 6,382 करोड़ रुपये शामिल हैं.
अरविंद धाम द्वारा प्रवर्तित एमटेक ऑटो और उसकी सहायक कंपनियां 5,885 करोड़ रुपये के विलफुल डिफॉल्ट के साथ दूसरे स्थान पर हैं.
बंधु नितिन और चेतन संदेसरा,जो कुछ वर्षों से फरार चल रहे हैं,अपनी कंपनी स्टर्लिंग ग्लोबल ऑयल रिसोर्सेज और उसकी सहायक कंपनियों के 3,757 करोड़ रुपये के समेकित चूक के साथ तीसरे स्थान पर हैं.
कपिल और धीरज वधावन की कंपनियों -दीवान हाउसिंग फाइनेंस और उसकी सहायक कंपनियों ने 2,780 करोड़ रुपये का जानबूझकर डिफॉल्ट किया है.
सूची में आगे भाइयों का एक और समूह है – संजय और संदीप झुनझुनवाला,जिनकी कंपनी री एग्रो ने 2,602 करोड़ रुपये के बैंक ऋण पर चूक की है.
मेहुल चोकसी की गीतांजलि जेम्स,संजय कुमार सुरेका की कॉनकास्ट स्टील एंड पावर,अतुल पुंज की पुंज लॉयड और जतिन मेहता की विनसम डायमंड्स और सहायक कंपनियां 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक ऋण पर चूक गईं,चोकसी और मेहता कैरेबियाई द्वीप भाग गए हैं.
कुल मिलाकर नौ कंपनियों ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज नहीं चुकाया है,अगले सात के लिए चूक 1,500 करोड़ रुपये से 2,000 करोड़ रुपये के बीच है.
उनमें से प्रसिद्ध हैं शक्ति भोग फूड्स, सिंटेक्स इंडस्ट्रीज, रोटोमैक ग्लोबल, डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स और एस कुमार्स नेशनवाइड.
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